पूर्वांचल में बारिश के बाद लोगों के खिले चेहरे, मौसम साफ होने पर किसानों ने ली राहत की सांस
किसान भाइयों को सलाह है कि मुख्य फसल धान में खैरा रोग के नियंत्रण हेतु ज़िंक सल्फेट 25 किग्रा प्रति हेक्टेअर की दर से अवश्य डाले। वृद्धि कर रही फसल में शेष बची नत्रजन का आधा भाग (कुल मात्रा का दस भाग) बाली बनते समय छिड़काव करे।
मीरजापुर, जेएनएन। जनपद में बीते तीन दिनों तक झमाझम बारिश के बाद शनिवार को मौसम आखिरकार खुल गया, जिससे लोगों के चेहरे खिल उठे। मौसम साफ होने पर लोगों ने राहत की सांस ली। धूप निकलने के बाद लोग जरूरी काम निपटाने के लिए घरों से बाहर निकले तो वहीं दूसरी तरफ महिलाएं भी घरों में कपड़े आदि सुखाते हुए दिखी। मौसम वैज्ञानिकों ने किसानों को खेती संबंधी सुझाव दिए हैं। दरअसल बारिश के बाद का मौसम लोगों की सेहत ही नहीं बल्कि फसलों की सेहत को भी प्रभावित करता है। ऐसे में फसलों की देखरेख भी कहीं अधिक जरूरी हो जाता है।
डीएसटी महामना जलवायु परिवर्तन केंद्र के समन्वयक एवं ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बीएचयू वाराणसी के नोडल अधिकारी प्रो. आरके मल्ल व तकनीकी अधिकारी युवा मौसम वैज्ञानिक शिव मंगल सिंह ने बताया कि मौसम पूर्वानुमान के आधार पर आने वाले अगले तीन-चार दिनों तक आसमान में बादल छाए रहेंगे, जिसके फलस्वरूप कही-कही गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। हवा की गति सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। हालांकि शनिवार को मौसम सुबह साफ है।
बावजूद इसके ऐसे मौसम मे किसान भाइयों को सलाह है कि मुख्य फसल धान में खैरा रोग के नियंत्रण हेतु ज़िंक सल्फेट 25 किग्रा प्रति हेक्टेअर की दर से अवश्य डाले। वृद्धि कर रही फसल में शेष बची नत्रजन का आधा भाग (कुल मात्रा का दस भाग) बाली बनते समय छिड़काव करे। पत्ती लपेटक, भूरा व सफ़ेद फुदका कीट के नियंत्रण हेतु प्रोफेनोफास दो मिली प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करें। सिड्यूल के हिसाब से पशुओं का टीकाकरण कराए। आवश्यकता पड़ने पर चिकित्सक की सलाह लें। पशुओं को उनके पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था करें। अन्य कृषि क्रियाए मौसम के परिवर्तन को ध्यान मे रखकर ही करें और इस महामारी के समय में बहुत जरूरी होने पर ही घर से निकले।