वाराणसी में खतौनी के बाद अब वरासत भी होगा डिजिटल, राजस्व परिषद की ओर से जारी किया गया पत्र

वाराणसी में खतौनी के बाद अब वरासत को भी डिजिटल किया जाएगा। साथ ही इसको संरक्षित भी किया जाएगा। राजस्व परिषद की ओर इस आशय का पत्र जारी किया गया है। शासन की तरफ से जारी आदेश में दिशा निर्देश दिया गया है ।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 10:50 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 01:29 PM (IST)
वाराणसी में खतौनी के बाद अब वरासत भी होगा डिजिटल, राजस्व परिषद की ओर से जारी किया गया पत्र
खतौनी के बाद अब वरासत को भी डिजिटल किया जाएगा।

वाराणसी, जेएनएन। खतौनी के बाद अब वरासत को भी डिजिटल किया जाएगा। साथ ही इसको संरक्षित भी किया जाएगा। राजस्व परिषद की ओर इस आशय का पत्र जारी किया गया है। शासन की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि वरासत को फार्म 4के में दर्ज करते हुए ऑनलाइन किया जाए । साथ ही परिषद की वेबसाइट पर भी सुरक्षित रखा जाए ताकि सदैव के लिए यह सुरक्षित रहे। साथ ही इस फोटो कापी  को अभिलेखागार में रखा जाए। दस साल के बाद इसे पुनः अपडेट कर दिया जाए ताकि आगे कभी समस्या न आए।

जमीन जायदाद से जुड़े दस्तावेज बहुतायत अभिलेखागार से गायब हो चुके है या जीर्णशीर्ण स्थित में है। कुछ के पन्ने तो छूने  मात्र से टूट जाते है। शासन ने इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर खसरा को सुरक्षित करने का आदेश जारी किया है ताकि भविष्य में कोई परेशानी न हो।   

अभिलेखागार को अपडेट करने का निर्देश

शासन ने अभिलेखागार को भी ठीक ठाक करने का निर्देश दिया है। कहा है कि अभिलेखागार को।मरम्मत कराया जाए। जररूत हो तो नवनिर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ाया जाए । किसीं कार्यदायी एजेंन्सी के एस्टीमेट बनवाया जाए। परिषद की स्वीकृति के बाद इस पर काम कराया जाए। जिले में सभी राजस्व  विभागों से जुडे अभिलेखागार की स्थिति खराब है। दीवारों में नमी, छत से बरसात में पानी टपकने आदि की शिकायते हैं। राजस्व विभाग की जनकल्याणकारी योजनाओं के अंतगर्त लाभार्थियों को लाभांवित करने के उद्देश्य से 65 ग्रामीणों को रविवार को वरासत, खतौनी व भूमि आवंटन पत्र विधायक डा. अवधेश सिंह द्वारा वितरित किया गया। तहसील पिंडरा के सभागार में आयोजित वितरण समारोह में विधायक ने कहा कि 'सरकार आपके द्वार की घोषणा प्रदेश सरकार ने की थी, वह आज पूरी होती दिख रही है। पूर्व में वरासत व खतौनी में नाम दर्ज कराने के लिए भागदौड़ करनी पड़ती थी। अब अभियान चलाकर ग्रामीणों को उनके घर पर ही इसे दिया जा रहा है।

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