वाराणसी में पांच माह बाद परंपरागत तरीके से हुई गंगा आरती, हर-हर गंगे उद्घोष से गूंजा गंगा तट
कोरोना की दूसरी लहर में लगभग पांच महीने से सांकेतिक तौर पर एक ब्राह्मण से ही आरती को संपन्न कराया जा रहा था। अब शनिवार से सातों ब्राह्मण गंगा आरती में शामिल हुए तो प्रतीक के तौर पर रिद्धि-सिद्धी कन्याएं भी मौजूद रहीं।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण का दूसरा दौर होली के बाद से लेकर मई जून तक मानो कहर पर आमादा था। अब कोरोना का असर थमने के बाद वाराणसी में पर्यटन का दौर भी लौटने लगा है। पर्यटन का सीजन सावन माह से होली तक वाराणसी में बना रहता है। खासकर वाराणसी में गंगा आरती का क्रम पर्यटकों को अधिक आकर्षित करता है। गंगा आरती का यह दौर लंबे समय से कोरोना संक्रमण की वजह से मानो खानापूर्ति में ही बीते रहा था। इसके बाद कोरोना संक्रमण घटा तो बाढ़ ने आरती स्थल के साथ ही आस्थावानों को भी गंगा आरती से दूर कर दिया था। अब लंबे समय बाद शनिवार से गंगा आरती अपने पुराने स्वरूप में शुरू हो गई है।
अब लगभग पांच माह बाद माँ गंगा की दैनिक महाआरती अपने पुरातन स्वरूप में शनिवार से प्रारम्भ हो गई है। गंगा सेवा निधि द्वारा दशाश्वमेघ घाट पर विश्व प्रसिद्ध दैनिक मां गंगा की महाआरती भव्य रूप से दोबारा शुरू की गई। शनिवार शाम साढ़े छह बजे के बाद से घाट पर रौनक पसर गई और साफ सफाई के साथ कोरोना गाइडलाइन का अनुपालन करते हुए आस्थावानों ने हर हर महादेव के साथ हर हर गंगे का उद्घोष कर देश से कोरोना के नाश के लिए मां गंगा से कामना की।
लगभग पांच महीने बाद वहीं पुरानी भव्यता के साथ पुरातन स्वरूप में माँ गंगा की आरती शाम 6:45 से शुरू हुई तो आस्था का कोई भी ओर छोर घाट पर नजर नहीं आया जो जहां था उसके कमद ठिठक कर घाट की ओर बढ़ चले। समिति ने बताया कि आज शनिवार से पुराने स्वरूप में गंगा आरती का दौर लौट आया है। कोरोना की दूसरी लहर में लगभग पांच महीने से सांकेतिक तौर पर एक ब्राह्मण से ही आरती को संपन्न कराया जा रहा था। अब शनिवार से सातों ब्राह्मण गंगा आरती में शामिल हुए तो प्रतीक के तौर पर रिद्धि-सिद्धी कन्याएं भी मौजूद रहीं। समिति के अनुसार कोरोना की पहली लहर में आरती लगभग आठ महीने तक प्रभावित रही थी। इस बार पांच माह के बाद आरती शुरू हुई है।
यह रही परंपरा : गंगा सेवा निधि की ओर से दशाश्वमेध घाट पर की जाने वाली सांध्यकालीन गंगा आरती पांच साल बाद पुनः पूरी भव्यता के साथ अपने स्थान पर शुरू हुई। इसमें सात अर्चक और 14 कन्याएं देवी स्वरूप में उपस्थित रहीं। घाट को फूल मालाओं व दीपों से सजाया गया था। कोरोना के चलते पांच माह से मां गंगा की आरती सांकेतिक स्वरूप में हो रही थी। इस दौरान तमाम भक्त भी आरती दर्शन से वंचित रहे। पांच माह बाद भव्यता के साथ पुरातन स्वरूप में आरती के लिए गंगा सेवा निधि के कार्यकर्ता सुबह से जुट गए थे। प्रतिदिन शाम महाआरती का अवलोकन करने के लिए तमाम श्रद्धालु देश-विदेश से आते रहे हैं। इस वर्ष 11 अप्रैल से सांकेतिक रूप से मां गंगा की आरती से हो रही थी। सात अर्चक की जगह एक अर्चक ही मां गंगा की आरती कर रहे थे। कोरोना के प्रथम चरण में आठ महीनों तक सांकेतिक रूप से मां गंगा की आरती हुई थी। वैदिक रीति से गंगा पूजन में मुख्य रूप से स्टेट बैंक आफ इंडिया के चेयरमैन दिनेश कुमार खारा ने सपत्नीक पूजन किया। साथ ही सीजीएम अजय खन्ना, डीजीएम चंद्र भूषण कुमार सिंह, रीजनल मैनेजर प्रशांत सिंह व गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र, संरक्षक श्यामलाल सिंह, कोषाध्यक्ष आशीष तिवारी, सचिव हनुमान यादव, प्रेम मिश्रा आदि थे।