188 दिन बाद आज से दर्शन देंगी मां कूष्मांडा, सुबह छह बजे आरती के साथ पट खुलेगा

दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर शुक्रवार से आम श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए खोल दिया जाएगा। गुरुवार शाम को मंदिर प्रबंधन की हुई बैठक में मंदिर खोलने का निर्णय लिया गया। मंदिर प्रबंधन के अनुसार सुबह छह बजे आरती के साथ पट खुलेगा और दोपहर बारह बजे बंद कर दिया जाएगा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 10:54 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 10:54 PM (IST)
188 दिन बाद आज से दर्शन देंगी मां कूष्मांडा, सुबह छह बजे आरती के साथ पट खुलेगा
दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर शुक्रवार को सुबह छह बजे आरती के साथ पट खुलेगा।

वाराणसी, जेएनएन। दुर्गाकुंड स्थित दुर्गा मंदिर शुक्रवार से आम श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन के लिए खोल दिया जाएगा। गुरुवार शाम को मंदिर प्रबंधन की हुई बैठक में मंदिर खोलने का निर्णय लिया गया। मंदिर प्रबंधन के अनुसार सुबह छह बजे आरती के साथ पट खुलेगा और दोपहर बारह बजे बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद दोपहर दो बजे से रात्रि नौ बजे तक मंदिर का कपाट खुलेगा। इस तरह श्रद्धालु दो पालियों में माता का दर्शन कर सकेंगे। इस दौरान जिला प्रशासन द्वारा जारी कोविड-19 के सभी नियमों का पालन कराया जाएगा। मंदिर में किसी भी प्रकार का प्रसाद और फूल-माला चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी। दुर्गाकुंड स्थित दुर्ग विनायक गणेश मंदिर भी आज से खुलेगा। वहां भी दर्शनार्थियों को कोविड नियमों के तहत ही प्रवेश दिया जाएगा।

दुर्गा मंदिर काशी के पुरातन मंदिरों में से एक

दुर्गा मंदिर काशी के पुरातन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का उल्लेख " काशी खंड" में भी मिलता है। यह मंदिर वाराणसी कैन्ट से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। लाल पत्थरों से बने इस भव्य मंदिर के एक तरफ दुर्गा कुंड है। इस मंदिर में माता दुर्गा यंत्र के रूप में विराजमान है। मंदिर के निकट ही बाबा भैरोनाथ, लक्ष्‍मी, सरस्वती, और माता काली की मूर्तियां अलग से मंदिरों में स्‍थापित हैं। इस मंदिर के अंदर एक विशाल हवन कुंड है, जहां रोज हवन होते हैं। कुछ लोग यहां तंत्र पूजा भी करते हैं। 

अदृश्‍य रूप में विराजित हैं माता

ऐसी मान्‍यता है कि इस मंदिर में दुर्गा माता आद्य शक्‍ति स्‍वरूप में अदृश्‍य रूप से विराजमान हैं। ये मंदिर शिव की नगरी काशी के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। ऐसी भी मान्‍यता है कि ये देवी का आदि मंदिर है, इसके अतिरिक्‍त वाराणसी में केवल दो ही मंदिर काशी विश्र्वनाथ और मां अन्‍नपूर्णा मंदिर ही प्राचीनतम हैं।  

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