विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अब नहीं डूबेगा प्रवेश शुल्क, वापस करना होगा पैसा

विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को छात्रों का प्रवेश शुल्क वापस करना होगा। स्नातक व स्नातकोत्तर के किसी पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के बाद किन्हीं कारणवश यदि छात्र शुल्क वापसी की मांग करता है तो संबंधित विश्वविद्यालयों व विद्यालयों को एक हजार रुपये काटकर वापस करना हाेगा।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Sat, 19 Dec 2020 10:16 AM (IST) Updated:Sat, 19 Dec 2020 10:16 AM (IST)
विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में अब नहीं डूबेगा प्रवेश शुल्क, वापस करना होगा पैसा
विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को छात्रों का प्रवेश शुल्क वापस करना होगा।

वाराणसी, जेएनएन। अब विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों को छात्रों का प्रवेश शुल्क वापस करना होगा। स्नातक व स्नातकोत्तर के किसी पाठ्यक्रमों में दाखिला लेने के बाद किन्हीं कारणवश यदि छात्र शुल्क वापसी की मांग करता है तो संबंधित विश्वविद्यालयों व विद्यालयों को एक हजार रुपये काटकर वापस करना हाेगा।

दरअसल साल बचाने के चक्कर में तमाम छात्रों ने यूजी-पीजी के पाठ्यक्रमों शुरूआती दौर में ही दाखिला ले लिया था। वहीं बाद में उससे अच्छे संस्थानों की मेरिट सूची नाम आ जाने के कारण वहां भी दाखिला ले लिया है। अब ऐसे छात्र शुल्क वापस करने के लिए महाविद्यालयों का दौड़ लगा रहे हैं। वहीं कालेज शुल्क वापस करने में हीलाहवाली कर रहे हैं। लक्ष्मीपुरा कालोनी की शाईस्ता फातिमा ने बताया कि बीएससी (बायो) में दाखिले के लिए महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, हरिश्चंद्र पीजी कालेज सहित कई संस्थानों में आवेदन किया था।

हरिश्चंद्र पीजी कालेज की प्रवेश सूची पहले जारी हो गई। ऐसे में हरिश्चंद्र पीजी कालेज में दाखिला ले लिया। इसके बाद मेरिट सूची में शामिल होने के बाद काशी विद्यापीठ में भी दाखिला ले लिया। अब हरिश्चंद्र कालेज शुल्क वापस नहीं कर रहा है। कालेज प्रशासन का कहना है कि शुल्क वापस करने का कोई नियम नहीं हैं। यह तो एक बानगी है। जनपद में ही पूरे देश ऐसे तमाम विद्यार्थी शामिल है। शुल्क वापस करने के लिए छात्र शासन-प्रशासन तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन अब तक शुल्क वापस नहीं हुआ।

सबसे अधिक शिकायत स्ववित्तपोषित कालेजों से जुड़ी है। यूजीसी ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया है। देश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से ऐसे छात्रों का एक हजार रुपये काट कर पूरी फीस वापस कराने का निर्देश भी यूजीसी ने दिया है। यूजीसी ने कोविड काल में अभिभावकों का किसी भी प्रकार को आर्थिक उत्पीडऩ न हो। इस पर विशेष ध्यान देने का भी निर्देश दिया है।

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