बनारस रेल इंजन कारखाना के रेल इंजनों में 98 फीसद स्वदेशी सामग्री, पूर्वांचल के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों से आपूर्ति

मेक इन इंडिया में अहम योगदान देते हुए भारतीय रेल की उत्पादन इकाई बनारस रेल इंजन कारखाना यानि बरेका ने बहुउद्देश्शीय दिशाओं में कदम बढ़ाया है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के साथ मेक इन इंडिया की दिशा में मजबूत कदम है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2021 06:20 AM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2021 10:29 AM (IST)
बनारस रेल इंजन कारखाना के रेल इंजनों में 98 फीसद स्वदेशी सामग्री, पूर्वांचल के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों से आपूर्ति
बनारस रेल इंजन कारखाना महाप्रबंधक की जीएम अंजली गोयल।

वाराणसी [विनोद पांडेय]। मेक इन इंडिया में अहम योगदान देते हुए भारतीय रेल की उत्पादन इकाई बनारस रेल इंजन कारखाना यानि बरेका ने बहुउद्देश्शीय दिशाओं में कदम बढ़ाया है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के साथ मेक इन इंडिया की दिशा में मजबूत कदम है। रेल इंजन निर्माण में कार्यरत महिला कर्मचारी सशक्तीकरण का उदाहरण पेश कर रही हैं। पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रेल इंजन निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इसके लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने भी ट्वीट कर सराहना की है। पूर्वांचल के सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के साथ युवाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए कौशल विकास कर रहा है। पर्यावरण की चिंता प्राथमिकता पर है तो भारतीय रेल को क्षमतावान, द्रुत, गतिमान व सुरक्षित बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहा है। बरेका के इंजनों की विदेशों तक धाक है। तंजानिया, वियतनाम, श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार, सेनेगल, सूडान, अंगोला, माली, मोजांबिक एवं मलेशिया जैसे देशों को 165 रेलइंजन निर्यात किए गए हैं। 23 अप्रैल 1956 को भारत के प्रथम राष्ट्रपति स्व. डा. राजेंद्र प्रसाद ने इसका शिलान्यास किया था। अब तक कई उपलब्धियों व कीर्तिमान को समेटे बरेका से जुड़े कुछ सवालों को लेकर दैनिक जागरण संवाददाता ने महाप्रबंधक अंजली गोयल से बातचीत की। पेश है प्रमुख अंश...।

-पूर्वांचल के छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने में बरेका किस तरह से सहयोगी है

बरेका की विद्युत रेल इंजन उत्पादन लाइन में 98 फीसद स्वदेशी सामग्री है। इससे व्यापक तौर पर एमएसएमई क्षेत्र एवं घरेलू निर्माण को मदद मिली है। बरेका की वाॢषक खरीद 2020-21 में तीन हजार करोड़ रुपये है। एमएसएमई (सूक्ष्म लघु व मध्यम उद्योग) क्षेत्र से पर्याप्त मात्रा में सामग्री खरीदी गई। 2019-20 में एमएसएमई क्षेत्र से लगभग 14 सौ करोड़ रुपये की खरीद की गई। बरेका ने करीब चार हजार करोड़ के वाॢषक टर्नओवर से निर्माण क्षेत्र की जीडीपी में योगदान दिया। बरेका से जुडऩे के लिए युवाओं को सुनहरा अवसर मिलता है। वेंडर्स पंजीयन के बाद मानक के अनुरूप इंजन निर्माण से जुड़े कलपुर्जों की आपूर्ति कर सकते हैं।

-युवाओं को रोजगार के अवसर देने में बरेका कितना सफल है

बरेका में अत्याधुनिक वेल्डिंग अनुसंधान संस्थान है, जो वेल्डरों को प्रमाणित करने में सक्षम है। बरेका बड़े फैब्रिकेटेड सामानों के विक्रेताओं के साथ जुड़ेगा, जिसमें आईएसओ 9606 मानक में वेल्डर प्रशिक्षित होंगे। इससे कौशल निर्माण में मदद मिलेगी और निजी क्षेत्र विशेषकर एमएसएमई की प्रतिस्पर्धा में सुधार होगा जो ब्रांड इंडिया की छवि को बढ़ाएगा। बरेका ई-लर्निंग के लिए कौशल अपग्रेडेशन माड्यूल पर भी काम कर रहा है। प्राविधिक प्रशिक्षण केंद्र को कौशल विकास उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा परिकल्पित कौशल विकास कार्यक्रम कौशल विकास पहल के तहत, कुल 521 स्थानीय युवाओं को विभिन्न ट्रेडों में नि:शुल्क प्रशिक्षित किया गया है और प्रमाणपत्र प्रदान किए गए हैं।

-बेहतर पर्यावरण के लिए बरेका क्या कर रहा है

पर्यावरण के लक्ष्यों के साथ तालमेल रखते हुए, बरेका ने अपनी सौर ऊर्जा उत्पादन क्षमता को 17.96 फीसद बढ़ाया है। वर्ष 2019 की इसी अवधि के संदर्भ में नवंबर 2020 तक कुल ग्रिड ऊर्जा की खपत को 26.27 फीसद तक कम किया है। परिसर में शुद्ध पेयजल आपूर्ति के साथ ही सीवेज का री-यूज कर बागवानी की जा रही है। भूजल दोहन रोकने के लिए वर्कशाप में भी री-यूज शोधित पानी का उपयोग हो रहा है।

-कर्मचारी कल्याण के क्षेत्र में किस प्रकार खरा उतर रहा बरेका

बरेका ने मानव संसाधन प्रबंधन प्रणाली (एचआरएमएस) का शत-प्रतिशत कार्यान्वयन किया है। इससे सेवा रिकार्ड, छुट्टी खाता देखना तथा पीएफ निकासी जैसे कार्य काफी आसान हो गए हैं। कर्मचारी कल्याण के क्षेत्र में वृद्धि हुई है।

-रेल इंजन निर्माण में आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बरेका कितना कदम आगे

अब बरेका अपने बहुद्देशीय संरचना का प्रयोग मल्टीगेज एवं मल्टी ट्रेक्शन रोलिंग स्टाक के उत्पादन के लिए करने को तैयार है। इससे भारत सरकार की आत्मनिर्भर भारत की नीति का संकल्प पूरा होगा। बरेका इस समय मोजांबिक देश को 51.6 करोड़ रुपये मूल्य के छह केप गेज 3000 अश्व शक्ति रेल इंजन के निर्यात पर कार्य कर रहा है। इसे नवंबर 2020 में फास्ट ट्रैक पर रखा गया। बरेका में इस आदेश के अंतर्गत पहली बार 12 सिलेंडर क्रेंक केस का निर्माण किया जा रहा है। गैर रेलवे ग्राहकों के लिए 37.72 करोड़ रुपये मूल्य के चार रेल इंजन का आदेश बरेका के पास है। वर्तमान वित्तीय वर्ष के दौरान गैर रेलवे ग्राहकों को 4.66 करोड़ रुपये के अतिरिक्त पुर्जों की आपूर्ति की गई। गैर रेलवे ग्राहकों को 5.05 करोड़ रुपये के पुर्जों का आदेश  मिला है। जल्द ही इसकी आपूॢत की जाएगी। बीते दो वित्तीय वर्षों में बरेका ने श्रीलंका को 3000 अश्व-शक्ति के कुल 10 इंजनों का निर्यात किया।

-अब तक कितने डीजल इंजन को विद्युत इंजन में रूपांतरित किया गया

विश्व में पहली बार हाई हार्स पावर डीजल लोकोमोटिव को विद्युत लोकोमोटिव में सफलतापूर्वक परिवॢतत करने का श्रेय बरेका को प्राप्त है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बरेका से 10000 अश्व-शक्ति के रूपांतरित लोकोमोटिव डब्लूएजीसी-3 की  पहली ट्विन यूनिट को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया। 6000 टन के मालवाहक ट्रेनों का सफलतापूर्वक संचालन किया गया। तब से बरेका ने आठ डीजल लोकोमोटिव को विद्युत लोकोमोटिव में परिवतित किया है।

-वर्तमान परियोजना एवं भविष्य की योजनाएं क्या हैं

मिशन रफ्तार के अंतर्गत, भारतीय रेल ने पुश एवं पुल मोड (बोगियों के आगे-पीछे इंजन) में संचालन द्वारा ट्रेनों की औसत गति में वृद्धि किया है। रेल इंजनों के बीच रेक के साथ दो डब्ल्यूएपी-7 रेलइंजन के मल्टीपल फार्मेशन द्वारा डब्ल्यूएपी-7 यात्री लोको को पुश एवं पुल मोड में किया गया। प्रथम जोड़ी का सफलता पूर्वक परीक्षण किया गया। इसे फरवरी 2020 में यात्री सेवा के लिए बरेका से भेजा गया। बरेका मार्च 2020 से निॢमत सभी नवनिॢमत रेलइंजनों में पुश-पुल फीचर जोड़ रहा है।

-9000 अश्व शक्ति रेल इंजन निर्माण का प्रौद्योगिक हस्तांतरण भी होगा

रेलवे बोर्ड ने बरेका को 9000 अश्व शक्ति मालवाहक रेलइंजन प्लेटफार्म के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण का कार्य लेने के लिए तैयार रहने को निर्देशित किया है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के क्षेत्र में शेल, बोगी, ट्रेक्शन मोटर, लोकोमोटिव असेंबली, परीक्षण एवं कमिशनिंग शामिल है। यह परियोजना चार वर्षों की होगी। 200 रेल इंजनों का उत्पादन किया जाएगा। इससे बरेका कर्मशाला की गुणवत्ता में प्रगति होगी।

-गार्ड व ब्रेकवान विहीन रेल गाड़ी में क्या तकनीक अपना रहे।

भारतीय रेल की एक महत्वपूर्ण परियोजना है। इसके अंतर्गत मालवाहक ट्रेनों में गार्ड एवं ब्रेकवान को हटाने का विकल्प तलाशा जाना है। बहुत ही कम लागत का रेडियो टेलीमेट्री उपकरण उपयोग किया जाना है, जिससे रेल इंजन ड्राईवर एवं अंतिम वैगन के बीच संचार स्थापित हो जाएगा और यह सुनिश्चित होगा कि ट्रेन संपूर्ण इकाई कोच व वैगन के साथ चल रही है। बरेका इस परियोजना के सुचारु कार्यान्वयन व समुचित समन्वय के लिए गठित कार्य दल (टास्क फोर्स) का संयोजक है।

संक्षिप्त परिचय

अंजली गोयल ने 27 अक्टूबर 2020 को बरेका के महाप्रबंधक का पदभार ग्रहण किया। इसके पूर्व रेलवे बोर्ड नई दिल्ली में प्रधान कार्यकारी निदेशक व लेखा के पद पर कार्यरत थीं। अंजली गोयल 1985 बैच की भारतीय रेल लेखा सेवा (आइआरएएस) के अधिकारी के रूप में रेल सेवा में आईं।

लेडी श्रीराम कालेज, दिल्ली से अर्थशास्त्र में स्नातक की उपाधि हासिल कीं। बाद में दिल्ली में स्कूल आफ इकोनोमिक्स से एडवान्स इकोनोमिक्स में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। मंडल रेल प्रबंधक जयपुर तथा रेलवे बोर्ड में कार्यकारी निदेशक व फाइनेंस (बजट) एवं कार्यकारी निदेशक व फाइनेंस (स्थापना) सहित अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है। अंजली गोयल ने प्रतिनियुक्ति पर नीति आयोग में एडवाइजर (प्रोजेक्ट अपरेजल) एवं केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण विभाग में डायरेक्टर फाइनेंस के पदों पर भी रहीं। विभिन्न विषयों जैसे हाई स्पीड रेलवे इन इंडिया, सस्टैनेबल डेवलपमेंट आफ रेलवे एवं जनरल बजटिंग पर आपके लेख प्रकाशित हुए हैं।

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