वाराणसी के क्षय रोगियों की जियो टैगिंग में अब तक दायरे में आये 9013 मरीज

राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब विभाग टीबी मरीजों की जियो (भौगोलिक) टैंगिग करने में जुटा है। इसके लिए स्वास्थ्य कर्मी टीबी मरीजों के घर जाकर उनकी लोकेशन निक्षय पोर्टल पर दर्ज कर रहे हैं। इससे न केवल डाटा संकलन में सहूलियत होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 06:20 PM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 06:20 PM (IST)
वाराणसी के क्षय रोगियों की जियो टैगिंग में अब तक दायरे में आये 9013 मरीज
राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब विभाग टीबी मरीजों की जियो (भौगोलिक) टैंगिग करने में जुटा है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025 तक देश को टीबी मुक्त करने का संकल्प लिया है। इसको लेकर कोरोना काल में भी टीबी मरीजों की तलाश और इलाज जारी है। राष्ट्रीय क्षय उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब विभाग टीबी मरीजों की जियो (भौगोलिक) टैंगिग करने में जुटा है। इसके लिए स्वास्थ्य कर्मी टीबी मरीजों के घर जाकर उनकी लोकेशन निक्षय पोर्टल पर दर्ज कर रहे हैं। इससे न केवल डाटा संकलन में सहूलियत होगी, बल्कि उपचार करने में भी आसानी होगी।

स्वास्थ्य टीम को वर्ष 2019, 2020 तथा 2021 के निजी एवं सरकारी क्षेत्र के सभी क्षय रोगियों की जियो टैगिंग करते हुए उनकी लोकेशन अपडेट करना है। इससे यह पता चल जाएगा कि किस क्षेत्र या गांव में टीबी रोगियों की सघनता ज्यादा है, जिससे टीबी रोगी खोजी अभियान के दौरान उस क्षेत्र पर विशेष फोकस किया जा सके। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. वीबी सिंह ने बताया कि भारत सरकार की सेंट्रल टीबी डिवीजन के निर्देश के क्रम में वाराणसी सहित पूरे प्रदेश के क्षय रोगियों का लोकेशन ऑनलाइन किए जाने का निर्देश दिया गया है। वर्ष 2019 से लेकर 2021 तक के सभी क्षय रोगियों की लोकेशन को टैग किया जा रहा है, जिससे उनका आसानी से पता लगाकर उपचार किया जा सके।

जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह ने बताया कि जियो टैगिंग से क्षय रोगियों के बारे में सभी जानकारियां ऑनलाइन हो जाएंगी, जिस पर शासन व जिला प्रशासन स्तर से बराबर निगरानी की जाएगी। इससे डोज के बारे में पता चल जाएगा तो मरीजों को यह सहूलियत मिलेगी कि खत्म होने के पहले ही उन्हें दवा उपलब्ध हो जाएगी। हालांकि इस बीमारी की दवा का कोर्स छह माह अथवा जरूरत के अनुसार होता है। रोगी को लगातार दवा का सेवन करना पड़ता है। एक बार चेन टूटने पर फिर शुरू से दवा खानी पड़ती है। इसलिए घर के जिम्मेदारों को इस पर विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। वहीं जिला कार्यक्रम समन्वयक संजय चौधरी ने बताया कि मौजूदा समय में विभाग वर्ष 2019 के 4008, वर्ष 2020 के 3279 एवं वर्ष 2021 में अब तक 1726 टीबी के मरीजों की जियो टैगिंग कर चुका है। यानी वर्ष 2019 से अब तक कुल 9013 टीबी मरीजों की जियो टैगिंग हो चुकी है।

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