वाराणसी में गोद लिए 884 फीसद बच्चों ने टीबी को दी मात, नौ एनजीओ व चार विश्वविद्यालयों ने की थी पहल
सामाजिक संगठनों व प्रबुद्धजनों का साथ मिला तो बच्चों ने भी टीबी रोग को तेजी से मात देना शुरू कर दिया है। कुछ माह पहले ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने टीबी से ग्रसित बच्चों को उच्च अधिकारियों स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) से गोद लेने की अपील की थी।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। सामाजिक संगठनों व प्रबुद्धजनों का साथ मिला तो बच्चों ने भी टीबी रोग को तेजी से मात देना शुरू कर दिया है। कुछ माह पहले ही राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने टीबी से ग्रसित बच्चों को उच्च अधिकारियों, स्वयंसेवी संस्थाओं (एनजीओ) से गोद लेने की अपील की थी। इसका असर जिले में अब स्पष्ट दिखने भी लगा है। करीब नौ स्वयंसेवी संस्थाओं व चार विश्वविद्यालयों के कुलपति द्वारा गोद लिए 18 वर्ष तक के 1103 बच्चों में से 884 अब टीबी को मात देकर स्वस्थ जीवन जी रहे हैं।
स्वयंसेवी संस्थाओं व कुलपति की ओर से टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने का उद्देश्य यह है कि इस रोग के उपचार के दौरान उनकी बेहतर देखभाल की जा सके। लगातार फालोअप हो सके और निक्षय पोषण योजना के तहत मिलने वाले हर माह 500 रुपये के अलावा पोषाहार पहुंचाया जा सके, जो देश को वर्ष 2025 तक क्षय रोग से मुक्त बनाने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण भी है।
जिला क्षय रोग अधिकारी डा. राहुल सिंह ने बताया कि स्वयंसेवी संस्थाएं टीबी ग्रसित बच्चों को गोद लेने को लगातार आगे आ रही हैं। बच्चों को नोटिफाई कर उन्हें इलाज पर रखा जा रहा है। इसके अलावा निजी चिकित्सकों, निजी नर्सिंग होम, मेडिकल स्टोर आदि के माध्यम से भी उन बच्चों को नोटिफ़ाई किया जा रहा है जो बिना किसी चिकित्सीय सलाह या जांच के दवा का सेवन कर रहे हैं।
संस्था -गोद लिए-ठीक हुए-उपचाराधीन
रेड क्रास -337-270-67
नागरिक सुरक्षा -237-225-12
रोटरी क्लब -162-152-10
आइएमए -94-79-15
लायंस क्लब -61-59-02
मारवाड़ी युवा मंच -22-19-03
ट्राइ टू फाइट फाउंडेशन -40-35-05
महिला बाल विकास समिति -72-39-33
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन -70-00-70
(नोट : इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने हाल ही में बच्चों को गोद लिया है।)
आठ बच्चे लिए थे गोद, छह हुए ठीक
केंद्रीय तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान के कुलपति ने दो बच्चों को गोद लिए गया था, जिनमें से एक अब स्वस्थ हैं। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के कुलपति ने दो-दो बच्चे गोद लिए थे। चारों बच्चे अब ठीक हैं। वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति ने भी दो बच्चों को गोद लिए थे, जिनमें से एक का उपचार अभी चल रहा है।
स्वयं सेवी संस्थाएं लगातार प्रयासरत हैं
कम उम्र में टीबी हो जाना बहुत बड़ी समस्या बन जाती है, जिससे बच्चों के मानसिक और सामाजिक विकास पर गहरा असर पड़ता है। इससे निजात दिलाने के लिए स्वास्थ्य विभाग, जिला क्षय रोग नियंत्रण इकाई, उच्चाधिकारी व स्वयं सेवी संस्थाएं लगातार प्रयासरत हैं।
- डा. वीबी सिंह, सीएमओ।