वाराणसी में स्थापित होंगी 80 नई इकाईयां, पुरानी 188 इकाईयों का किया जाएगा उच्चीकरण
इकाई स्थापना के लिए कुल लागत का लाभार्थी को दस फीसद अंशदान देना होगा। शेष 90 फीसद की राशि लाभार्थी लाभार्थी को अनुदान के रूप में सरकार से मिलेगा। इसके लिए लाभार्थी को एओएफपीआई.पीएमएफई.जीओवी.इन पर आनलाइन आवेदन करना होगा।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। खाद्य पदार्थों के छोटे-छोटे उद्योगों का उच्चीकरण और नए उद्योग स्थापित करने के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत खाद्य एवं प्रसंस्करण मंत्रालय की ओर से प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना (पीएमएफएमई) शुरु की गई है। इसके तहत 188 पुराने इकाईयों को अपग्रेड और 80 नई इकाईयां स्थापित की जाएंगी। इसमें लाभार्थी को अधिकतम दस लाख रुपये का अनुदान मिलेगा। इकाई स्थापना के लिए कुल लागत का लाभार्थी को दस फीसद अंशदान देना होगा। शेष 90 फीसद की राशि लाभार्थी लाभार्थी को अनुदान के रूप में सरकार से मिलेगा। इसके लिए लाभार्थी को एओएफपीआई.पीएमएफई.जीओवी.इन पर आनलाइन आवेदन करना होगा।
पीएमएफएमई का लाभ उन्हीं पुरानी इकाइयों को मिलेगा जिनमें दस से कम कर्मचारी तैनात हैं। योजना के लिए वित्तीय सहायता तय शर्तों पर एक परिवार के सिर्फ एक सदस्य को मिलेगा। उद्यम अपग्रेड करने के लिए पात्र उद्यमी परियोजना लागत का 35 फीसदी क्रेडिट लिंक्ड कैपिटल सब्सिडी का लाभ ले सकेंगे। योजना में व्यक्तिगत, एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों, कोआपरेटिव को 35 फीसदी क्रेडिट लिंक्ड अनुदान व पूंजी निवेश के लिए भी मदद दिया जाएगा। नई इकाईयों को कार्यशील पूंजी और छोटे उपकरणों की खरीद के लिए खाद्य प्रसंस्करण में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के प्रत्येक सदस्य को 40 हजार रुपये की दर से प्रारंभिक पूंजी दी जाएगी। जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि अनुदान लाभार्थी के खाते में जमा होगा। ऋण में सब्सिडी की धनराशि पर बैंक ब्याज नहीं लेगा।
योजना में शामिल होंगे यह उद्यम : जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्ता ने बताया कि योजना में बेकरी, पशु एवं मुर्गी चारा, दाल-चावल-आटा मिल, मक्का उत्पाद के प्रसंस्करण से जुड़े उद्योग, दुग्ध उत्पादन, फल उत्पादन, हर्बल उत्पादन, मशरूम और मशरूम उत्पादन, आयल सीड उत्पादन, रेडी टू कुक उत्पाद, मसाला और नमकीन, अचार, मुरब्बा, सिरका उद्योग, ओडीओपी के तहत मिर्च, गन्ना उत्पाद, सब्जी उत्पादन, केला उत्पादन , महुआ उत्पादन, शहद उत्पादन, मांस उत्पादन, बाजरा उद्योग, बांस उद्योग, मेवा उद्योग, मिठाई उद्योग, जूस-सेक शामिल है।
उद्यमियों को मिलेगी यह सुविधा : सामान्य प्रसंस्करण सुविधा प्रयोगशाला, वेयरहाउस, कोल्ड स्टोरेज, पैकिंग एवं इन्क्यूबेशन सेंटर, सामान्य उपकरण आदि के विकास के लिए 35 फीसद क्रेडिट लिंवड अनुदान मिलेगा। ब्रांडिंग और मार्केटिंग के लिए ओडीओपी के तहत सहायता मिलेगी।
रिसोर्स पर्सन करेंगे मदद : योजना में आवेदन के लिए एमआईएस पोर्टल पर सभी प्रक्रिया आनलाइन होगी। मौजूदा खाद्य प्रसंस्करण यूनिटों को पीएमएफएमई पोर्टल पर आवेदन करना है। क्षेत्र स्तरीय सहायता के लिए विभाग से नियुक्त जिला रिसोर्स पर्सन उद्यमियों की सहायता करेंगे।
इन अधिकारियों से करें संपर्क : योजना से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए जिला उद्यान अधिकारी संदीप कुमार गुप्त (9415262566) या योजना अधिकारी हरिशंकर सिंह (9415445158 , 9696304245) से इच्छुक लोग संपर्क कर सकते हैं।