देवी मइया के दर्शन व दशहरा पर्व की खुशियों से दूर हुई 50 हजार आबादी
आजमगढ़ शहर के जलभराव का दंश झेल रही निचले इलाकों की लगभग 50 हजार आबादी शायद पहली बार शारदीय नवरात्र में देवी मइया का दर्शन-पूजन निर्विघ्न नहीं कर सकी। जलनिकासी की नाकाफी साबित हुई व्यवस्था के कारण दशहरा पर्व से भी दूर ही रहना होगा।
आजमगढ़, जागरण संवाददाता। शहर के जलभराव का दंश झेल रही निचले इलाकों की लगभग 50 हजार आबादी शायद पहली बार शारदीय नवरात्र में देवी मइया का दर्शन-पूजन निर्विघ्न नहीं कर सकी। जलनिकासी की नाकाफी साबित हुई व्यवस्था के कारण दशहरा पर्व से भी दूर ही रहना होगा। जबकि इतनी बड़ी आबादी की भीड़ भागीदारी दशहरा के मेले की रौनक में होती थी।
16 सितंबर एवं उसके बाद दो दिन और हुई अतिवृष्टि से शहर के बागेश्वर नगर, कोल बाजबहादुर, कोलपांडेय, गुरुटोला गुरुघाट, अनंतपुरा, हनुमानगढ़ी, अतलस पोखरा, रैदोपुर काली चौरा, चांदमारी सहित काफी संख्या में गांव व मोहल्ले डूब गए। रोडवेज बाईपास से लेकर अतलस पोखरा और फिर सिविल लाइन क्षेत्र, पुरानी जेल के सामने, मातबरगंज आंशिक, रामघाट एवं बड़ा गणेश मंदिर तक मिनी बाईपास व सड़क सुरक्षा बांध के अंदर के भवन अभी भी जलजमाव की समस्या का दंश झेल रहे हैं। गांव में किसी भी तरफ से जाने का सुगम रास्ता नहीं रह गया है। 30 दिन से दैनिक दिनचर्या पूरी तरह प्रभावित हो गई है।
ग्रामीण की परेशानी, उन्हीं की जुबानी
‘‘लगातार एक माह से जलजमाव के कारण जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है। जिला प्रशासन व नगर पालिका प्रशासन की तरफ से जलनिकासी के लिए की गई व्यवस्था अभी तक नाकाफी साबित हुई है। -फजलुद्दीन।
‘‘ऐसा पहली बार हुआ है जब हमलोग जलजमाव के कारण बदहाल जिंदगी जीने का मजबूर हैं। नवरात्र के बाद अब विजयादशमी के पर्व की खुशियों से भी दूर हो गए हैं। -संजय कुमार चौरसिया।
‘‘अभी निकट भविष्य में जलनिकासी की समस्या से निजात मिलती नहीं दिख रही है। इस बार शारदीय नवरात्र में देवी मइया का पूजन-अर्चन ठीक से नहीं कर पाए। दशहरा पर्व की खुशियाें से भी दूर हो गए हैं। -अतुल शर्मा।
‘‘जलजमाव से जिंदगी नारकीय हो गई है।कारोबार पूरी तरह प्रभावि हो गया है। पानी से उठ रही दुर्गंध से अब संक्रामक बीमारियों के फैलने की आशंका बढ़ती जा रही है। -आफताब।