वाराणसी में पढ़ी जाती है 450 साल पुरानी अगहनी जुमे की नमाज, मुस्लिम समाज की अनोखी रवायत

बुनकरों ने अपने-अपने कारोबार को बंद कर के अगहन के महीने में जुमे के दिन ईदगाह में इकट्ठा होकर नमाज अदा कर अल्लाह ताला के बारगाह में दुआए मांगी थी। उसके बाद अल्लाह के रहमो-करम से बारिश हुई व देश में खुशहाली आई।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 03 Dec 2021 11:35 AM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 11:35 AM (IST)
वाराणसी में पढ़ी जाती है 450 साल पुरानी अगहनी जुमे की नमाज, मुस्लिम समाज की अनोखी रवायत
कारोबार बढ़ाने और मंदी से उबरने के लिए देश में सिर्फ काशी में ही एक विशेष नमाज पढ़ी जाती है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। कारोबार को बढ़ाने व मंदी से उबरने के लिए देश में सिर्फ काशी में ही एक विशेष नमाज पढ़ी जाती है। इसे पारंपरिक अगहनी जुमे की नमाज कहा जाता है, जो 450 साल पुरानी है। उस समय देश में प्रचंड सूखा पड़ा था। इसकी वजह से किसान परेशान थे। बारिश नहीं हो रही थी जिसके कारण किसान खेती नहीं कर पा रहे थे। जबरदस्त मंदी की वजह से बुनकर के बुने हुए कपड़े नहीं बिक रहे थे।

हर तरफ भुखमरी का आलम था। तब उस वक्त बुनकरों ने अपने-अपने कारोबार को बंद कर के अगहन के महीने में जुमे के दिन ईदगाह में इकट्ठा होकर नमाज अदा कर अल्लाह ताला के बारगाह में दुआए मांगी थी। उसके बाद अल्लाह के रहमो-करम से बारिश हुई व देश में खुशहाली आई। बुनकरों के कारोबार भी चलने लगे व किसानों की खेती भी लहलहाने लगी। तब से इस परंपरा को बनारस में मनाया जाने लगा। यह नमाज तीन दिसंबर को पढ़ी जाएगी।

इस पारंपरिक अगहनी जुमे की नमाज की परंपरा को यहां बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी के सरदार के सदारत में निभाई जाती है।बाईसी तंजीम के सरदार एकरामुद्दीन साहब बताते हैं कि अगहनी जुमे की नमाज की इस ऐतिहासिक परंपरा को बुनकर बिरादराना तंजीम बाईसी की देखरेख में चौकाघाट मछली मंडी के पास स्थित ईदगाह में हर साल पढ़ाई जाती है। जब जब देश के अवाम के ऊपर ऊपर मुसीबते आती है तो बनारस के सारे बुनकर अगहन के महीने में अपने-अपने कारोबार को बंद कर ईदगाह में इकट्ठा होकर अगहनी जुमे की नमाज अदा करने हजारों-हजार की तादाद में लोग पहुंचते है और अपने-अपने कारोबार में बरक्कत व मुल्क की तरक्की के लिए दुआएं मांगते है।

वहीं बाईसी तंजीम के सरदार गुलाम मोहम्मद उर्फ दरोगा ने बताया कि अगहनी जुमे की नमाज इस ऐतिहासिक परंपरा के तहत उनकी देखरेख में पुरानापुल पुल्कोहना ईदगाह में हर साल पढा़ई जाती है । सारे बुनकर अगहन के महीने में अपने-अपने कारोबार को बंद कर ईदगाह में इकट्ठा हो कर अगहनी जुमे की नमाज अदा करने हजाराें हजार की तादाद में लोग पहुंचते व तरक्की के लिए दुआंए मांगते है । उन्होंने सभी से मुर्री बंद कर ईदगाह में नमाज़ अदा करने के लिए पहुंचने की अपील की है।

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