वाराणसी में 40 लाख खर्च लेकिन 12 नाले जस के तस, सफाई में नगर निगम की नहीं दिखी सक्रियता

नाला सफाई को लेकर नगर निगम प्रशासन कमजोर साबित हुआ। कोविड काल में जब ठेकेदार नहीं हुए निविदा में शामिल तो नगर आयुक्त गौरांग राठी ने विभागीय स्तर से नाला सफाई का निर्णय लिया। बड़े नालों की सफाई में विभाग की सक्रियता नहीं दिखी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 08:50 AM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 08:50 AM (IST)
वाराणसी में 40 लाख खर्च लेकिन 12 नाले जस के तस, सफाई में नगर निगम की नहीं दिखी सक्रियता
नाला सफाई को लेकर नगर निगम प्रशासन कमजोर साबित हुआ।

वाराणसी, जेएनएन। नाला सफाई को लेकर नगर निगम प्रशासन कमजोर साबित हुआ। कोविड काल में जब ठेकेदार नहीं हुए निविदा में शामिल तो नगर आयुक्त गौरांग राठी ने विभागीय स्तर से नाला सफाई का निर्णय लिया। इस कार्य में इंजीनियरिंग विभाग के साथ ही स्वास्थ्य विभाग को लगाया गया। कुल सवा सौ के करीब छोटे नाले व नाली के अलावा 49 बड़े नाले की सफाई का ब्लू प्रिंट  तो बना लेकिन बड़े नालों की सफाई में विभाग की सक्रियता नहीं दिखी।

परिणाम, जो कार्य 15 जून तक पूरा हो जाना था वह नहीं हो सका। लगभग 40 लाख रुपये खर्च भी हो गए लेकिन 12 नाले अब भी सफाई का इंतजार कर रहे हैं। लेटलतीफी को देखते हुए नगर आयुक्त ने अपर नगर आयुक्त देवीदयाल वर्मा को इस मोर्चे पर लगाया तो मौसम के मिजाज को देखते हुए मैन पावर बढ़ाने का निर्णय लिया गया जिनकी संख्या 450 से अधिक हो गई। हालात ऐसे हैं कि नगर निगम की पूरी फौज खड़ी है। आसमान की ओर टकटकी लगाए इंतजार कर रही है कि कब पानी बंद हो और युद्ध स्तर पर नाला सफाई में जुट जाएं। नाला सफाई का मतलब सिल्ट निकासी के बाद उसका निस्तारण भी है जिसके लिए 12 घंटे उसे सूखने का मौका मिलना चाहिए।

खर्च में 25 फीसद की आई कमी

नगर आयुक्त गौरांग राठी ने कहा कि नाला सफाई विभागीय स्तर से कराने पर नया अनुभव मिला है। खर्च में करीब 25 फीसद की कमी आई है। बताया कि डूडा के तहत मजदूरों को बुलाया गया था। कोरोना काल के कारण अपेक्षित मजदूरों की आवक नहीं हो सकी। इससे कार्य की गति थोड़ी धीमी जरूर थी। हालांकि, 15 जून तक कार्य खत्म करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन मानसून ने पहले दस्तक देकर तय वक्त में कार्य पूरा करने की कोशिश को प्रभावित किया है।

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