30 वर्षों में तीन हजार बच्चों को बाल श्रम से कराया मुक्‍त, 10 हजार को ब्रिज एजुकेशन के माध्यम से शिक्षा से जोड़ा

काशी निवासी डा. भानूजा शरण लाल करीब 30 साल से बालश्रम के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। इसके लिए 1990 में मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान बनाया। वे इस संस्था से 1996 से जुड़े हैं और जरूरतमंदों की मदद कर रहे हैं।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 04:49 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 04:49 PM (IST)
30 वर्षों में तीन हजार बच्चों को बाल श्रम से कराया मुक्‍त, 10 हजार को ब्रिज एजुकेशन के माध्यम से शिक्षा से जोड़ा
काशी निवासी डा. भानूजा शरण लाल करीब 30 साल से बालश्रम के खिलाफ अभियान चला रहे हैं।

वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। काशी निवासी डा. भानूजा शरण लाल करीब 30 साल से बालश्रम के खिलाफ अभियान चला रहे हैं। इसके लिए 1990 में मानव संसाधन एवं महिला विकास संस्थान बनाया। वे इस संस्था से 1996 से जुड़े हैं। इस दौरान उन्होंने करीब तीन हजार बच्चों को बालश्रम से मुक्त कराया है। इसके अलावा सरकार एवं श्रम विभाग के साथ मिलकर करीब 10 हजार बच्चों को ब्रिज एजुकेशन के माध्यम से शिक्षा से जोड़ा है।

डा. भानूजा ने सिर्फ बच्चों को बाल या बंधुआ मजदूरी से मुक्त ही नहीं कराया बल्कि उनके पुनर्वास को लेकर भी कार्य किया। उन्होंने बताया कि जब 1996 में सुप्रीमकोर्ट का बाल श्रम के खिलाफ आदेश आया तो उन्होंने बिहार, ओडिसा आदि राज्यों से आकर कालीन- कारपेट में कार्य करने वाले 800 बच्चों को दो साल में छुड़वाए थे। साथ ही प्रदेश के 750 गांवों में बाल श्रम को खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान भी चला चुके हैं। पिछले लॉकडाउन के दौरान दलित व मुसहर बस्ती में ब्रिज एजुकेशन प्रणाली के माध्यम से बच्चों को जोड़कर रखा। यही नहीं 900 महिलाओं को आय अर्जन के लिए कालीन, बकरी पालन, बतख पालन, सिलाई, कढ़ाई, किराने के दुकान, फल के दुकान आदि रोजगार से भी जोड़ा, जो बाल श्रम बच्चों की मां थी। इसके अलावा कुछ पुरुषों का ठेला, ट्राली उपब्ध कराया।

तीन साल से प्रदेश सरकार के साथ नया सवेरा

डा. भानूजा बताते हैं कि प्रदेश सरकार ने करीब तीन साल पहले नया सवेरा कार्यक्रम शुरू किया। इसके माध्यम से प्रदेश के 20 जिले के कुछ सेलेक्ट गांवों में बाल श्रमिक अधिक था, जिसका सरकार ने सर्वेक्षण कराया। इस कार्यक्रम के तहत पिछले साल 12 जून तक 50 गांव को बालश्रम मुक्त गांव घोषित किया गया। इसमें प्रयागराज, वाराणसी, विध्यांचल आदि मंडल के गांव शामिल हैं।

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