30 लाख पौधे लगाए, बरगद के महज 210, राष्ट्रीय वृक्ष की नगण्यता पर उठ रहे सवाल

वाराणसी की विभिन्न नर्सरियों में लगाए गए 30 लाख पौधे में से बरगद की संख्या महज 210 ही है। प्रशासन द्वारा राष्ट्रीय वृक्ष की नगण्यता पर सवाल उठ रहे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Fri, 03 Jul 2020 10:36 PM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 12:22 AM (IST)
30 लाख पौधे लगाए, बरगद के महज 210, राष्ट्रीय वृक्ष की नगण्यता पर उठ रहे सवाल
30 लाख पौधे लगाए, बरगद के महज 210, राष्ट्रीय वृक्ष की नगण्यता पर उठ रहे सवाल

वाराणसी, जेएनएन। बरगद न केवल राष्ट्रीय वृक्ष है, अपितु यह पर्यावरण एवं संस्कृति के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। बावजूद इसके जिले की विभिन्न नर्सरियों में लगाए गए 30 लाख पौधे में से बरगद की संख्या महज 210 ही है। ऐसे में यदि पौधारोपण योजनाओं में इसके महत्व का समुचित आंकलन और इसके संरक्षण के अपेक्षित प्रयास को नगण्य अथवा न्यूनतम ही माना जा सकता है। सबसे अधिक आक्सीजन देने वाले पीपल की भी स्थिति उतनी ठीक नहीं कही जा सकती। प्रशासन भी अन्य बुरे पौधे लगाकर अपने लक्ष्य को पूरा करने में ही जुटा रहता है। भले ही पर्यावरण के लिए अच्छा हो या नहीं।

रुद्राक्ष के भी चार पौधे

जिले के चार रेंज काशी, वाराणसी, बाबतपुर एवं सारनाथ रेंज की 17 नर्सरियों में 64 प्रजातियों के पौधे लगाए गए हैं। इसमें दो साल के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए 30.45 लाख पौधे लगाए गए हैं। इसमें सबसे कम चार पौधे रुद्राक्ष के हैं, जबकि सबसे अधिक करीब छह लाख पौधे शीशम के हैं।

आंकड़ों में विरोधाभास

डीएफओ कार्यालय की ओर से जो आंकड़े मिल हैं उसमें तो बरगद के पौधे महज 210 ही बताए जा रहे हैं। काशी रेंज के चौबेपुर नर्सरी में 200 व सारनाथ रेंज की सारनाथ नर्सरी में 10 पौधे दर्शाए गए हैं। वहीं काशी रेंज के वन क्षेत्राधिकारी एनपी सिंह बताया है कि जिले में बाबतपुर, चौबेपुर, सथवा, सिसवा, हाथी बाजार, बेलवरिया, सारनाथ, सहित एक दर्जन नर्सरी में बरगद के 1500 लगाए हैं। वहीं उन्होंने पीपल के पौधे की संख्या लगभग 2000 बताई। हालांकि डीएफओ कार्यालय ने पीपल के पौधों की संख्या 1028 बताई है।

धार्मिक महत्व भी बहुत हैं बरगद के

यह अक्षयकाल तक जीवित रहने वाला पेड़ है। वृक्ष में भगवान शिव का वास होता है। इस वृक्ष की छाया में कथा सुनना शुभ माना जाता है। श्रीराम के वनवास में सीता ने बरगद वृक्ष की कामना की थी। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु के लिए वट सावित्री व्रत धारण कर परिक्रमा करती हैं। यह भी मानना है कि मकान के पूरब दिशा की तरफ लगा बरगद वृक्ष सभी कामनाओं की पूॢत करता है। बरगद की छाल में विष्णु, जड़ों में ब्रह्मा, शाखा में शिव वास करते हैं। बरगद को महत्वपूर्ण स्थानों पर लगाया जाता है। ये वृक्ष काफी विशाल व छायादार होते हैं। बरगद को संस्कृत में वट यानी लपेटने वाला वृक्ष कहा जाता है। यह मघा नक्षत्र का है।

गुण व औषधि

बरगद के फलों को मानव व पशु पक्षी खाते है, जो शीत व पौष्टिक गुणयुक्त होते हैं। इसका दूध कमर दर्द, जोड़ों में दर्द, सड़े हुए दांत के दर्द व बरसात में होने वाले फोड़े फुंसी पर लगाने पर लाभकारी होता है। फल मधुमेह व छाल का काढ़ा महुमूत्र में कारगर होता है।

पर्यावरण में मददगार

- बरगद के पेड़ की पत्तियां एक घंटे में 5 मिमीलीटर ऑक्सीजन देती हैं।

- पेड़ 20 घंटे से अधिक समय तक ऑक्सीजन देता है।

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