वाराणसी में गंगा तट पर 28 वें उत्‍तर प्रदेश अंतरराष्ट्रीय फ‍िल्‍म समारोह का शुभारंभ

राजेन्द्र प्रसाद घाट मंच पर शुक्रवार को तीन दिवसीय फ‍िल्म समारोह का शुभारम्भ किया गया।

By Abhishek SharmaEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 10:02 PM (IST) Updated:Fri, 28 Feb 2020 10:02 PM (IST)
वाराणसी में गंगा तट पर 28 वें उत्‍तर प्रदेश अंतरराष्ट्रीय फ‍िल्‍म समारोह का शुभारंभ
वाराणसी में गंगा तट पर 28 वें उत्‍तर प्रदेश अंतरराष्ट्रीय फ‍िल्‍म समारोह का शुभारंभ

वाराणसी, जेएनएन। राजेन्द्र प्रसाद घाट मंच पर शुक्रवार को तीन दिवसीय फ‍िल्म समारोह का शुभारम्भ किया गया। सर्व प्रथम जूरी मेम्बर और मुख्य अतिथि आईजी वाराणसी ने दीप प्रज्‍जवलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस दौरान एनिमेशन फ़िल्म जो 1 घण्टे 21 मिनट की भारत में बनी है उसके साथ ही पहले दिन अन्य फिल्मों को दिखाया जा रहा है। इस तरह पहले दिन ही कुल पांच फ‍िल्‍में दिखाई जाएंगी। इसमें एक एनीमेशन फ‍िल्‍म सहित चार दूसरी हिंदी फीचर फिल्में दिखाई जायेंगी जो भारत में ही बनी हैं।

कार्यक्रम के डायरेक्टर कृष्ण कुमार ने कहा कि काशी में आकर इस फ‍िल्‍म समारोह को लेकर एक अलग ही अनुभूति हो रही है वह भी मां गंगा के पास इस समारोह का होना बड़ी बात है। फीचर फिल्म राजेन्द्र प्रसाद घाट पर दिखाई जाएगी और शार्ट मूवी अस्सी घाट पर दिखायी जाएगी। 150 फिल्मों में से 35 फिल्मों का चयन हुआ है और इन्ही को आयोजन के दौरान दिखाया जाएगा। इस दौरान जूरी मेम्बर रहे सावन कुमार टॉक वी शुभास, डेविड सपीरों, यस कुमार मोहन हेमान्द्री सिंह और विराट विजय आदि माैजूद रहे। आयोजकों के अनुसार रात्रि आठ बजे से भोर चार बजे तक फ‍िल्‍मों का प्रदर्शन किया जाएगा।

शार्ट फिल्में दर्शकों तक आसानी से पहुंचती हैं : ज्योति कपूर दास

यूपी फिल्म इंटरनेशनल फेस्टिवल में चयनित हिंदी शार्ट फिल्म की लेखक निर्देशक ज्योति कपूर दास ने बताया कि उनकी फिल्म चटनी और प्लस माइनस मानव जीवन में घटित सम्बन्धों पर है।भारतीय जीवन में सम्बन्धों में उतार-चढ़ाव पर आधारित उनकी फिल्में 18-18 मिनट की हैं। इतनी कम अवधि में मनोरंजन समेत जीवन के यथार्थ को प्रस्तृत करते हैं। चटनी को न्यूयार्क की एचबीओ की शार्ट फ़िल्म का बेस्ट पुरस्कार मिला हैं। प्लस माइनस को और चटनी को क्रमश: 2019 व 2017 में फिल्म फेयर का अवार्ड मिल चुका है। उनके अनुसार दर्शक शार्ट फिल्में मोबाइल फोन के माध्यम से खाली समय में देख लेते हैं। कहानी का कथ्य उनतक आसानी से पहुंच जाता है। डिजिटल प्लेटफार्म के कारण शार्ट फिल्मों को बढ़ावा मिल रहा है। नए निदेशकों और लेखकों को अपनी प्रतिभा को कम खर्च पर प्रस्तृत करने का अच्छा मौका मिल रहा है। फिल्म उद्योग को उन्हें यह बताने का मौका मिल जाता है कि नए लोग नए अभिनेताओं से एक्टिंग करा लेते हैं। अब तो इन फिल्मों से फिल्मी स्टार भी जुड़ने लगे हैं, यही ऐसी फिल्मों की सफलता का मापदंड है।

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