वाराणसी शहर में शारदीय नवरात्र में लगेंगे 251 दुर्गा पूजा पंडाल, कोविड नियमों का करना होगा पालन

शारदीय नवरात्र इस बार सात अक्टूबर से शुरू हो रहा है। विजयदशमी 15 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दुर्गा-पूजा पंडालों में पूजन-अर्चन को लेकर वाराणसी के पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने सोमवार को मातहतों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Mon, 04 Oct 2021 10:16 PM (IST) Updated:Mon, 04 Oct 2021 10:16 PM (IST)
वाराणसी शहर में शारदीय नवरात्र में लगेंगे 251 दुर्गा पूजा पंडाल, कोविड नियमों का करना होगा पालन
वाराणसी शहर में शारदीय नवरात्र में लगेंगे 251 दुर्गा पूजा पंडाल

जागरण संवाददाता, वाराणसी। शारदीय नवरात्र इस बार सात अक्टूबर से शुरू हो रहा है। विजयदशमी 15 अक्टूबर को मनाई जाएगी। दुर्गा-पूजा पंडालों में पूजन-अर्चन को लेकर पुलिस कमिश्नर ए. सतीश गणेश ने सोमवार को मातहतों के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए। काशी जोन में 134, वहीं वरुणा जोन में दुर्गा पूजा पंडालों की संख्या 117 है। सभी जगहों पर कोविड-19 प्रोटोकाल का कड़ाई से पालन कराया जाएगा। पूजा पंडाल प्रबंधकों व समितियों की बैठक कर उन्हें कोविड-19 महामारी के दिशा-निर्देशों के पालन, पंडालों के आकार, सीसीटीवी कैमरों व अग्निशमन यंत्रों की उपलब्धता एवं यातायात सहित सुरक्षा व्यवस्था आदि के बारे में बताते हुए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए।

थाना प्रभारी पूजा पंडाल स्थापना स्थलों का भ्रमण कर उनके स्थान, आकार एवं आवागमन बाधित न हो इसके लिए पूर्व से ही कार्यवाही सुनिश्चित कर ली जाय। विवादित या संवेदनशील स्थलों का भ्रमण कर समस्या का समाधान एवं आवश्यक पुलिस प्रबंध की तैयारी कर ली जाए। शरारती तत्वों को चिन्हित कर उनकी सूची बनाकर उनके विरूद्ध प्रभावी निरोधात्मक कार्यवाही सुनिश्चित कराई जाए। विसर्जन के लिए उच्च न्यायालय की ओर से जारी आदेश का अनुपालन कराया जाए। जरूरत के मुताबिक यातायात डायवर्जन पूर्व से तय कर उचित माध्यम से प्रचार-प्रसार भी कराया जाए, ताकि जनता उससे अवगत रहे। इंटरनेट मीडिया पर कड़ी नजर रखी जाए और छोटी से छोटी घटना पर सतर्कता के साथ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।

 देवी दुर्गा को चिकित्सकीय स्वरूप में दिखाया जाना आपत्तिजनक नहीं

केंद्रीय पूजा समिति की बैठक रविवार को रामापुरा स्थित एक होटल में आयोजित की गई। इसमें हिंदू संगठनों द्वारा देवी दुर्गा को डाक्टर की थीम पर बनाए जाने पर आपत्ति गई। इस पर वरिष्ठ धर्म गुरुओं ने नारी शक्ति-नारी सम्मान के साथ पूजा पंडाल को राजनीतिक रूप न देने की बात कही। धर्माचार्यों ने देवी दुर्गा के चिकित्सक स्वरूप को स्वीकार किया है। उनका कहना है कि कोरोना काल में महिला चिकित्सकों ने अपनी जान पर खेलकर राष्ट्र की सेवा की है। महामंडलेश्वर संतोष दास सतुआबाबा ने कहा कि देवी दुर्गा को चिकित्सक रूप में दिखाया जाना किसी भी दृष्टि से आपत्तिजनक नहीं है।

पातालपुरी मठ के महंत बालक दास ने कहा कि हमारे शास्त्रों में एक मंत्र है जिसमें कहा गया है ‘दुर्गे दुर्गति नाशिनी’ साथ ही हमारा धर्म भी नारी को शक्तिरूपिणी के रूप में पूज्य मानता है। जब दोनों ही बातें हमारे सनातन धर्म से जुड़ी हैं तो देवी दुर्गा के चिकित्सकीय स्वरूप पर आपत्ति कैसे की जा सकती है। लखन स्वरूप ब्रह्मचारी ने कहा कि दुर्गोत्सव पर प्रयोगवादी प्रतिमाओं के माध्यम से काशी ने समय-समय पर कई बड़े सामाजिक संदेश दिए हैं। जो लोग देवी की प्रतिमा को चिकित्सक रूप में तैयार किए जाने पर आपत्ति कर रहे हैं उन्हें अपनी संकीर्ण सोच बदलनी चाहिए। संचालन और धन्यवाद केंद्रीय पूजा समिति के अध्यक्ष तिलकराज मिश्रा ने दिया। अनूप जायसवाल, लालजी गुप्ता, सुजीत गुप्ता समेत पूजा समितियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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