वाराणसी में बंजर जमीन पर लिया 2.19 करोड़ मुआवजा, अपर मुख्य सचिव राजस्व के पास पहुंचा तो बैठाई जांच

बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी की मिलीभगत से कुछ लोगों ने मोहनसराय-प्रयागराज (एनएच-19) पर बंजर जमीन पर फर्जी तरीके से नाम चढ़वाकर (29-बी) 2.19 करोड़ मुआवजा ले लिया। फर्जीवाड़ा और बंजर जमीन पर मुआवजा लेने का मामला अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच बैठा दी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 07:30 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 09:01 AM (IST)
वाराणसी में बंजर जमीन पर लिया 2.19 करोड़ मुआवजा, अपर मुख्य सचिव राजस्व के पास पहुंचा तो बैठाई जांच
बंजर जमीन पर फर्जी तरीके से नाम चढ़वाकर (29-बी) 2.19 करोड़ मुआवजा ले लिया।

वाराणसी [जेपी पांडेय]। बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी की मिलीभगत से कुछ लोगों ने मोहनसराय-प्रयागराज (एनएच-19) पर बंजर जमीन पर फर्जी तरीके से नाम चढ़वाकर (29-बी) 2.19 करोड़ मुआवजा ले लिया। फर्जीवाड़ा और बंजर जमीन पर मुआवजा लेने का मामला अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार के पास पहुंचा तो उन्होंने जांच बैठा दी। प्राथमिक जांच में बंदोस्ती अधिकारी चकबंदी की संलिप्तता सामने आई है। डीएम के निर्देश एडीएम सिटी ने जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व को प्रपत्रों को निकालने के साथ कोर्ट में वाद दाखिल करने को कहा है जिससे गलत तरीके से दी गई मुआवजा राशि को वापस लिया जा सके।

राजातालाब तहसील के परगना कसवार राजा में मोहनसराय-प्रयागराज (एनएच-19) के पास 80 एकड़ बंजर जमीन है। उक्त जमीन में से पांच एकड़ जमीन को लेकर कोले बनाम ग्रामसभा की सुनवाई करते हुए डिप्टी कलेक्टर माल ने पांच मार्च-1968 को कोले यादव के खिलाफ फैसला सुनाया। साथ ही अभिलेखों में सरकारी जमीन दर्ज करने का निर्देश दिया लेकिन कर्मियों ने नहीं किया।  उक्त आदेश के खिलाफ कोले यादव मंडलायुक्त के यहां अपील की लेकिन यहां से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली। उनके अपील को तत्कालीन मंडलायुक्त ने 24 जून-1989 को खारिज कर दिया। डिप्टी कलेक्टर का आदेश आज भी प्रभावी है। इस बीच उक्त जमीन को लेकर कोले समेत अन्य लोगों ने तत्कालीन बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी पुनीत शुक्ला (वर्ष 2009) के कोर्ट में अपील की। यहां भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली और विपक्षी के आवेदन को निरस्त करते हुए बंजर जमीन घोषित कर दिया था। डीडीसी के यहां भी अपील स्वीकार नहीं की गई। कोले यादव की मृत्यु के बाद लेखपाल ने उनके पुत्र कमलेश यादव, बृजेश यादव, राजेश यादव, अखिलेश यादव व धाधेश्वर यादव तथा उनके पत्नी को वारिस घोषित करते हुए रिपोर्ट लगा दी।  

जिलाधिकारी के निर्देश पर अभिलेखों निकलवाया जा रहा है

जिलाधिकारी के निर्देश पर अभिलेखों निकलवाया जा रहा है। अभिलेख मिलने के साथ न्यायालय में वाद दाखिल किया जाएगा। उक्त जमीन पर फर्जी तरीके से लोगों ने नाम चढ़वाकर मुआवजा लिया है।

-अशोक वर्मा, जिला शासकीय अधिवक्ता राजस्व

धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा

बंजर जमीन पर कैसे लोगों का नाम चढ़ा, डिप्टी कलेक्टर माल के आदेश के बाद अभिलेख में सरकारी जमीन क्यों दर्ज नहीं किया गया। बंदोबस्ती अधिकारी चकबंदी ने किस आधार पर हिस्सेदारी तय की आदि की जांच की जा रही है। जांच में दोषी मिलने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। साथ ही मुआवजा राशि वापस ली जाएगी। अन्यथा उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज कराया जाएगा।

-कौशल राज शर्मा, जिलाधिकारी

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