कोरोना टीका लगवाने वाले देश के सबसे उम्रदराज पुरुष बने वाराणसी के 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद

देश में टीकाकरण अभियान जोर-शोर से जारी है। बनारस में 125 वर्ष के स्वामी शिवानंद ने कोरोना वैक्सीन लगवाई है। दावा किया जा रहा है कि शिवानंद बाबा कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले देश के उम्रदराज पुरुष हैं। इस बात की जानकारी स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को दी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 09 Jun 2021 08:10 PM (IST) Updated:Wed, 09 Jun 2021 08:58 PM (IST)
कोरोना टीका लगवाने वाले देश के सबसे उम्रदराज पुरुष बने वाराणसी के 125 वर्षीय स्वामी शिवानंद
बनारस में 125 वर्ष के स्वामी शिवानंद ने कोरोना वैक्सीन लगवाई है।

वाराणसी [मुहम्मद रईस]। देश में टीकाकरण अभियान जोर-शोर से जारी है। बनारस में 125 वर्ष के स्वामी शिवानंद ने कोरोना वैक्सीन लगवाई है। दावा किया जा रहा है कि शिवानंद बाबा कोरोना वैक्सीन लगवाने वाले देश के उम्रदराज पुरुष हैं। इस बात की जानकारी स्वास्थ्य विभाग ने बुधवार को दी। शिवानंद से पहले छत्तीसगढ़ के सागर जिले की तुलसाबाई को 118 वर्ष की अवस्था में कोरोना वैक्सीन लगाई गई थी।

जनपद के शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर सुबह ही स्वामी शिवानंद के शिष्य पहुंचे और प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. सारिका राय से बाबा को प्रतिरक्षित करने की बात कहने लगे। इस पर डा. सारिका ने उन्हें दोपहर 12 बजे का समय दिया। शिष्य बाबा को लेकर केंद्र पर पहुंचे, जहां वैक्सीनेटर शकुंतला देवी ने शिवानंद बाबा को कोविशील्ड की पहली डोज लगाई। अब तीन माह बाद बाबा को दूसरी डोज का टीका लगाया जाएगा। डा. सारिका के मुताबिक जब पंजीयन के लिए स्वास्थ्यकर्मियों ने आधारकार्ड देखा तो उस पर जन्मतिथि आठ अगस्त 1896 अंकित थी। इस पर मुझे सूचित किया गया। टीका लगवाने के लिए शिवानंद बाबा बहुत उत्साहित थे।

कोई दिक्कत नहीं, सब लगवाओ टीका

कोविशील्ड की पहली डोज लगवाने के बाद शिवानंद बाबा ने स्वास्थ्यकर्मियों से कहा कि 'टीका लगवाने से कोई दिक्कत नहीं हुई। मैं बिल्कुल ठीक हूं और पहले से अधिक ऊर्जावान महसूस कर रहा हू। सभी लोगों को टीका जरूर लगवाना चाहिए।'

स्वास्थ्य विभाग उत्साह का हुआ कायल

वैक्सीन लगवाने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने भी 125 साल के स्वामी शिवानंद के उत्साह की तारीफ की है। शहरी पीएचसी की प्रभारी चिकित्साधिकारी डा. सारिका राय ने कहा कि पहले तो हम सब को यकीन ही नहीं हुअा कि बाबा की उम्र इतनी अधिक है। आधारकार्ड मिलान बाद अपने बीच देश के संभवता सबसे उम्रदराज व्यक्ति को टीका लगा कर हम सब भी खुद को बहुूत साैभाग्यशाली मान रहे हैं। बाबा का उत्साह युवाओं और बुजुर्गों के लिए निश्चित ही प्रेरणादायी है।

संतुलित दिनचर्या, सादा भोजन और योग-व्यायाम

स्वामी शिवानंद के मुताबिक उनकी लंबी आयु व स्वास्थ्य का राज इंद्रियों पर नियंत्रण, संतुलित दिनचर्या, सादा भोजन, योग व व्यायाम है। निरोग रहकर जीवन का आनंद लेने के फलसफे पर विश्वास रखने वाले शिवानंद इसका डेमो देने के लिए अमूमन अपने अनुयायियों के बीच ही रहते हैं। स्वामी शिवानंद अलसुबह 3 बजे ही सोकर उठ जाते हैं। नित्य क्रिया के उपरांत जाप व ध्यान करते हैं। इसके बाद व्यायाम व योग को तरजीह देते हैं। सुबह नाश्ते में लाई-चूड़ा, दोपहर व रात के खाने में दाल-रोटी व उबली हुई सब्जी लेते हैं।

गिनीज बुक में पंजीयन का इंतजार

कोलकाता निवासी शिष्य डा. सुभाष चंद्र गराई ने फोन पर हुई बातचीत में बताया कि बाबा दुनिया के सबसे उम्रदराज व्यक्ति हैं। पासपोर्ट, आधार कार्ड के साथ हमारे पास अन्य दस्तावेज भी हैं। गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड में पंजीयन को लेकर प्रयास किया जा रहा है। कई दस्तावेज भेजे जा चुके हैं। प्रक्रिया लंबी है, अभी कुछ और प्रपत्र मांगे गए थे, जिन्हें भेजने की तैयारी है।

वर्तमान बांग्लादेश है जन्मस्थली

स्वामी शिवानंद का जन्म सिलहट्ट जिला (वर्तमान में बांग्लादेश का हबीबगंज जिला) स्थित हरिपुर गांव में भगवती देवी एवं श्रीनाथ ठाकुर के घर हुआ था। निर्धन माता-पिता भिक्षाटन कर गुजारा करते थे। घोर आर्थिक तंगी के कारण माता-पिता ने चार साल की उम्र में उन्हें नवदीप (वर्तमान में पश्चित बंगाल का नदिया जिला) निवासी बाबा ओंकारानंद गोस्वामी को दान कर दिया था। जब छह वर्ष की उम्र में बाबा के साथ वापस अपने गांव गए तो मालूम चला कि उनकी बड़ी बहन ने दवा व भोजन के अभाव दम तोड़ दिया। उनके पहुंचने के एक सप्ताह बाद मां-बाप भी दुनिया छोड़ गए। नदिया में बाबा ओंकारानंद के सानिध्य में ही उन्होंने वैदिक ज्ञान हासिल किया और 16 वर्ष की उम्र में पश्चिम बंगाल आ गए।

2011 में आखिरी बार गए थे इंग्लैंड

स्वामी शिवानंद अंतिम बार वर्ष 2011 में इंग्लैंड गए थे। इससे पहले वे अपने शिष्यों के बुलावे पर ग्रीस, फ्रांस, स्पेन, आस्ट्रिया, इटली, हंगरी, रूस, पोलैंड, आयरलैंड, नीदरलैंड, स्विटजरलैंड, जर्मनी, बुल्गेरिया, यूके आदि देशों का भ्रमण कर चुके हैं। उनके अनुयायियों में नार्थ-ईस्ट के लोगों की संख्या अधिक है।

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