वाराणसी में सीवेज-ड्रेनेज के नाम पर 12 सौ करोड़ खर्च, इसके बाद भी नहीं सुधरे हालात

गंगा निर्मलीकरण का सच जानेंगे तो आश्चर्य से भर जाएंगे। इसके लिए नगरीय क्षेत्र में ड्रेनेज के नाम पर अब तक करीब 12 सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके होंगे लेकिन हालात नहीं बदले। भूमिगत जल निकासी व नालों से जुड़े हैं।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 21 Jul 2021 09:20 AM (IST) Updated:Wed, 21 Jul 2021 09:20 AM (IST)
वाराणसी में सीवेज-ड्रेनेज के नाम पर 12 सौ करोड़ खर्च, इसके बाद भी नहीं सुधरे हालात
नगरीय क्षेत्र में ड्रेनेज के नाम पर अब तक करीब 12 सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके होंगे

वाराणसी, जागरण संवाददाता। गंगा निर्मलीकरण का सच जानेंगे तो आश्चर्य से भर जाएंगे। इसके लिए नगरीय क्षेत्र में ड्रेनेज के नाम पर अब तक करीब 12 सौ करोड़ रुपये खर्च हो चुके होंगे लेकिन हालात नहीं बदले। भूमिगत जल निकासी व नालों से जुड़े हैं। सोख्ता पिट भूमिगत जल स्रोत को दूषित कर रहा है। गंगा का जल स्तर भी भूमिगत जल स्रोत से जुड़ा है। ऐसे में अप्रत्यक्ष रूप से गंगा ही मैली हो रही हैंं। वहीं, भूमिगत जल निकासी व नालों से जुड़े शौचालय तो प्रत्यक्ष तौर पर गंगा को मैला कर रहे हैं।

वरुणापार इलाके के लिए केंद्र सरकार ने इस इलाके में 105 करोड़ रुपये नए सीवेज सिस्टम से घरों के शौचालयों को जोडऩे के लिए दिए थे। इसमें 52 हजार से अधिक घरों का कनेक्शन सीवेज सिस्टम से कराना था। अब तक 23 हजार चार सौ घरों का कनेक्शन ही हो पाया। शेष करीब 27 हजार शौचालयों के कनेक्शन का काम तीन वर्ष से अटका है। कमोवेश ऐसे ही हालात पुराने शहर में हुए विस्तारित इलाके का भी है। इस इलाके के लिए दीनापुर में 140 एमएलडी क्षमता की एसटीपी लगी है। इससे लहरतारा, फुलवरिया, छावनी क्षेत्र, नदेसर, मंडुआडीह, महमूरगंज आदि इलाके जुड़े हैं लेकिन इन इलाकों में भी करीब 23 हजार घरों के शौचालयों का कनेक्शन नहीं हो सका है।

काशी से गंगा एक्शन प्लान की शुरुआत

गंगा एक्शन प्लान के तहत गंगा निर्मलीकरण का अभियान काशी से ही शुरू हुआ था। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने 14 जून 1986 को यहीं के दशाश्वमेध घाट पर गंगा एक्शन प्लान की नींव रखी थी। पहले चरण में नगर में सीवेज सिस्टम को बनाने का प्रस्ताव बना। इसके तहत 80 एमएलडी का एसटीपी दीनापुर में स्थापित हुआ जिसमें अंग्रेजों के जमाने के शाही नाले को कनेक्ट किया गया। इस नाले से प्रतिदिन करीब 60 एमएलडी मलजल रोज निकलता था जो सीधे गंगा में जा रहा था। यह कार्य धीमी गति से होते हुए अपने तय समय से करीब दो साल देर से पूरा हुआ।

वर्ष 2010 में जेएनएनयूआरएम

जेएनएनयूआरएम के तहत वरुणापार इलाके 50 हजार घरों के लिए सीवेज सिस्टम तैयार करने का प्रस्ताव बना जिसे ट्रांस वरुणा सीवेज सिस्टम नाम दिया गया। इसी के साथ जायका के फंड से सिस वरुणा यानी पुराने शहर में के विस्तार वाले इलाके मसलन, छावनी क्षेत्र, लहरतारा, मंडुआडीह, महमूरगंज, कैंट, इंग्लिशिया लाइन, सिगरा आदि इलाके के लिए प्रस्ताव बना। यह कार्य स्वीकृति के दो साल बाद यानी 2010 में प्रारंभ हुआ लेकिन जमीन की उपलब्धता समेत विभिन्न स्थानीय रुकावटों की वजह से पूरा होने में करीब नौ साल लग गए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब सांसद हुए तो वरुणापार इलाके के सीवेज सिस्टम के 120 एमएलडी एसटीपी के लिए गोइठहां में जमीन मिली। इसके बाद निर्माण ने गति पकड़ी तो 2018 में कार्य पूर्ण हुआ। कमोवेश यही हाल जायका के फंड से प्रस्तावित 140 एमएलडी सीवेज सिस्टम के लिए भी रहा। यह कार्य भी 2018 में ही पूर्ण हुआ। इतनी कवायद के बाद भी गंगा निर्मलीकरण अभी भी शहरी क्षेत्र में दूर की कौड़ी नजर आ रही है। रोजाना करीब 120 एमएलडी मलजल गंगा में सीधे तौर पर जा रहा है।

शाही नाले को कर रहे डायवर्ट

गंगा में शाही नाले से खिड़किया घाट पर गिर रहे 70 एमएलडी मलजल को रोकने के लिए शहर के पुराने इलाके से गुजरे शाही नाले को डायवर्ट किया जा रहा है। कबीरचौरा स्थित महिला जिला अस्पताल से शाही नाले की आधी लाइन को मोड़ कर चौकाघाट लिफ्टिंग पंप से जोड़ा जाएगा ताकि दीनापुर में बने 140 एमएलडी क्षमता के नए एसटीपी तक मलजल को भेजा जा सके।

नगर में क्रियान्वित सीवेज सिस्टम

-पुराने शहर का सीवेज सिस्टम : क्षमता-80 एमएलडी, लगात-50 करोड़

-वरुणापार सीवेज सिस्टम : क्षमता-120 एमएलडी, लगात-400 करोड़

-सिस वरुणा सीवेज सिस्टम : क्षमता 140 एमएलडी, लागत-500 करोड़

-बीएचयू के लिए भगवानपुर सीवेज सिस्टम : क्षमता 12 एमएलडी, लागत- 25 करोड़

-डीरेका का सीवेज सिस्टम : क्षमता- 10 एमएलडी, लागत-25 करोड़

-असि नाले को जोड़ता सीवेज सिस्टम : क्षमता 50 एमएलडी, लागत-145 करोड़

-रामनगर का सीवेज सिस्टम : क्षमता 12 एमएलडी, लागत-75 करोड़

सीवर लाइन में शौचालय कनेक्शन कार्य कराया जा रहा है

सीवर लाइन में शौचालय कनेक्शन कार्य कराया जा रहा है। शाही नाला का डायवर्जन कार्य पूरा होने पर गंगा में मलजल नहीं जाएगा।

-एके पुरवार, मुख्य अभियंता जल निगम

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