पीडीडीयू जंक्शन पर दून स्पेशल ट्रेन की बोगी से 100 कछुए बरामद, तस्करों का नहीं चल सका पता

जीआरपी ने चेकिंग के दौरान मंगलवार की रात को पीडीडीयू जंक्शन के प्लेटफार्म एक पर खड़ी दून स्पेशल ट्रेन की एक बोगी से चार बैग में 100 कछुए लावारिस हाल में बरामद किए। एक कोच के गेट के सामने गलियारे में चार बैगों में 25-25 कछुए थे।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 07:56 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 07:56 PM (IST)
पीडीडीयू जंक्शन पर दून स्पेशल ट्रेन की बोगी से 100 कछुए बरामद, तस्करों का नहीं चल सका पता
चार बैग में 100 कछुए लावारिस हाल में बरामद किए।

चंदौली, जेएनएन। जीआरपी ने चेकिंग के दौरान मंगलवार की रात को पीडीडीयू जंक्शन के प्लेटफार्म एक पर खड़ी दून स्पेशल ट्रेन की एक बोगी से चार बैग में 100 कछुए लावारिस हाल में बरामद किए। एक कोच के गेट के सामने गलियारे में चार बैगों में 25-25 कछुए थे। हालांकि इन्हें कौन, कहां ले जा रहा था इसका पता नहीं चल सका। जीआरपी ने जलजीव को वन विभाग को सौंप दिया। लंबे समय के बाद जंक्शन से जलजीव की बरामदी से खलबली मची रही। जंक्शन की सुरक्षा एजेसियां अभी भी तस्करी पर लगाम नहीं लगा पा रही हैं।

जीआरपी कर्मी जंक्शन एक से आठ तक के प्लेटफार्म और संदिग्ध यात्रियों के बेगों की जांच कर रहे थे। इसी बीच प्लेटफार्मों पर खड़ी ट्रेनों के बोगियों की भी पड़ताल शुरू थी। इसी दरम्यान प्लेटफार्म एक पर दून स्पेशल ट्रेन आकर रुकी। जवानों ने ट्रेन के एक एक कोच की छानबीन शुरू कर दी। एक कोच के गलियारे में लावारिस स्थिति में चार बैग पड़े थे। बैगों में हलचल होते देखकर जवानों को संदेह हुआ। जवानों ने बैग के स्वामी के बारे में पूछा लेकिन यात्रियों ने बैग की जानकारी न होने की बात कही। इसके बाद पुलिस कर्मियों ने बैग को खोलकर देखा तो उसमें कछुए थे। जवानों ने तत्काल उच्चाधिकारियों को सूचना दी और बैगों को लेकर जीआरपी कोतवाली पहुंचे। यहां कछुआें की गिनती की गई तो सौ संख्या थी। एक एक बैग में 25-25 जलजीव थे। इंस्पेक्टर अशोक दुबे ने बताया इन्हें कौन, कहां ले जा रहा था, इसका पता नहीं चल सका। फिलहाल मामले की जांच की जा रही है। टीम में उपनिरीक्षक डीपी यादव, सूबेदार यादव, सुशील यादव, शशांक शेखर यादव, विमलेश सिंह आदि शामिल रहे।

कहां गुम हो जाते हैं तस्कर...

ट्रेनों की बोगियों में लावारिस स्थिति में कछुओं के मिलने का मामला नया नहीं है। इससे पहले भी कई मादक पदार्थ लावारिस हालत में ही ट्रेनों से बरामद हुए हैं। हद तो यह है कि ट्रेन के पैंट्रीकार से भी लावारिस स्थिति में ही गांजे की खेप मिली थी। अब सवाल यह उठता है कि आखिर बैग ट्रेनों में कैसे पहुंच जाता है। अगर किसी तरह तस्करी का सामान बरामद भी हो जाता है तो तस्कर कहां गुम हो जाते हैं। जंक्शन की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं। चर्चा है कि सुरक्षा के नाम पर एजेंसियां केवल कोरमपूर्ति करती हैं।

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