भक्तों के सहयोग से बिल्लेश्वर महादेव का धनुषाकार तालाब बुझा रहा लोगों की प्यास
संवाद सहयोगी पुरवा जल ही जीवन है। आम लोगों से लेकर पशु पक्षियों व पर्यावरण सुरक्षा के लिए
संवाद सहयोगी, पुरवा: जल ही जीवन है। आम लोगों से लेकर पशु पक्षियों व पर्यावरण सुरक्षा के लिए भी जल प्रासंगिक है। इसके लिए जल संचयन की आवश्यकता अनिवार्यता का अंग बन चुकी है। इसी कड़ी से जुड़कर नगर के द्वापरकालीन बिल्लेश्वर महादेव मंदिर में सेवा कार्य करने वाले संजय गोस्वामी भक्तों के सहयोग से प्राचीन धनुषाकार तालाब को प्रत्येक वर्ष पानी से भरवाकर जीव-जंतुओं और पशु पक्षियों की प्यास बुझा रहे हैं।
बिल्लेश्वर महादेव मंदिर का धनुषाकार तालाब से किवदंती जुड़ी है कि महाभारत शुरू होने से पहले मौरध्वज की नगरी जाते समय भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन व युधिष्ठिर के साथ यहां रात्रि प्रवास किया था। माटी का शिवलिग बनाकर पूजन करने के बाद जब भगवान श्रीकृष्ण को प्यास लगी तो अर्जुन ने तीर मारकर जल स्त्रोत बना दिया और अपना धनुष रख दिया। जो बाद भी धनुषाकार तालाब में तब्दील हो गया। तबसे इस मंदिर के तालाब में प्रत्येक वर्ष नहर का पानी भरवाया जाता है। शुरुआत से यह काम दिवंगत महेश गोस्वामी करते आये है उनकी मृत्यु के बाद मंदिर में रहने वाले संजय गोस्वामी व राकेश गोस्वामी पिछले चार-पांच वर्षों से तालाब में पानी भरवाकर जल संचयन करते है।
संजय गोस्वामी ने बताया कि तालाब में पानी भरने के लिए जेसीबी से नाली बनवाई गई है। जिससे गर्मियों में यह तालाब भरवाते है। इस बार शिवरात्रि पर भी तालाब भरवाया गया था। मई जून में पुन: पानी भरवाया जाएगा। राकेश गोस्वामी ने बताया कि तालाब में मछलियां, मेंढक व पानी के सर्प भी रहते हैं लेकिन सर्पो से आज तक किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ। बड़ी संख्या में भक्तगण तालाब के पानी से जलाभिषेक भी करते हैं।