पहले भी तार-तार हुए जेल के सुरक्षा बंदोबस्त

जिला कारागार में बंदियों और कैदियों को हर तरह की छूट दी जा रही है। यहां पर रहने वाले कैदी पूरे आराम से सजा काट रहे हैं। पैसों के बल और रसूख के चलते हर तरह की सुविधा दी जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 Jun 2019 11:37 PM (IST) Updated:Sat, 29 Jun 2019 06:25 AM (IST)
पहले भी तार-तार हुए जेल के सुरक्षा बंदोबस्त
पहले भी तार-तार हुए जेल के सुरक्षा बंदोबस्त

जागरण संवाददाता, उन्नाव : जिला कारागार में बंदियों और कैदियों की सजा मौज में कट रही है। कीमत अदा करने पर उनको जेल में हर सुविधा उपलब्ध है। बुधवार को वायरल हुए वीडियो जेल के भीतर के अंधेर की गवाही है। जेल प्रशासन के कारनामे 12 साल पहले भी जगजाहिर हो चुके हैं, तब आठ कैदियों ने दबंगई दिखाने को जेल के भीतर के कारनामों का वीडियो बनाकर सरेआम किया था। तब भी बंदीरक्षकों पर कार्रवाई कर मामले को ठंडा कर दिया गया था। इस बार जेल में पिस्तौल लहराने और शराब पार्टी का वीडियो वायरल होने पर भी बड़े अपनी गर्दन बचाने की पूरी तिकड़म लगा रहे हैं।

उन्नाव जिला जेल में अगर अंटी में पैसा है तो घर जैसी सुविधा मिलेगी। यहां के सुरक्षा बंदोबस्त की पोल पहले भी खुलती रही है। वर्ष 2007 में जेल में बंद चंद्रप्रकाश, भन्ने, कृष्णा, दरोगा, धर्मेंद्र सहित आठ कैदियों ने जेल को अपनी ऐशगाह बनाए थे और मोबाइल से न केवल गैंग चलाते थे बल्कि बंदियों के साथ कुकृत्य कर उसका वीडियो वायरल करवाते थे। उनकी कागगुजारियों का वीडियो वायरल हुआ तो प्रशासन से लेकर जेल प्रशासन एक पैर पर खड़ा हो गया था। छानबीन हुई तो बंदियों के पास एक दर्जन से अधिक मोबाइल और आपत्तिजनक सामग्री मिली थी। डीजी जेल स्तर पर जांच हुई और बंदियों को फतेहगढ़, कानपुर देहात, लखनऊ आदि जेलों में शिफ्ट किया गया था वहीं जांच के नाम पर पांच बंदीरक्षकों पर कार्रवाई की गई लेकिन बड़े साफ बच गए।

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143 सुरक्षा कर्मियों के हवाले जेल

जिला जेल में 650 बंदियों और कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन जेल में वर्तमान समय में 1074 बंदी और कैदी हैं। इन पर निगरानी रखने के लिए 143 महिला-पुरुष सुरक्षा कर्मी लगे हैं। क्षमता से अधिक बंदी और कैदियों के रहने से भी उन्नाव जेल संवेदनशील बनी है।

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जेल में हुई अन्य घटनाओं पर नजर

- मार्च 2013 में बंदियों की अराजकता का वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें जेल के भीतर कुकृत्य, शराब पीने का मामला समाने आया था।

- फरवरी 2014 में गणना के दौरान बंदियों ने जेल अधीक्षक से की थी मारपीट।

- जुलाई 2018 में बंदियों के मोबाइल इस्तेमाल का वीडियो वायरल हुआ वहीं जेल अधीक्षक को जान से मारने की धमकी मिली थी।

- जुलाई 2018 में बंदी गुटों के बीच विवाद के बाद जमकर बवाल हुआ था एक दुष्कर्म आरोपित को मारपीट कर मरणासन्न कर दिया गया था।

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