अवैध मवेशी डिपो पर कार्रवाई पुलिस भुली

जागरण संवाददाता, उन्नाव : औद्योगिक क्षेत्र में संचालित स्लाटर हाउस तक पशुओं को पहुंचाने के

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Jan 2018 03:00 AM (IST) Updated:Thu, 25 Jan 2018 03:00 AM (IST)
अवैध मवेशी डिपो पर कार्रवाई पुलिस भुली
अवैध मवेशी डिपो पर कार्रवाई पुलिस भुली

जागरण संवाददाता, उन्नाव : औद्योगिक क्षेत्र में संचालित स्लाटर हाउस तक पशुओं को पहुंचाने के नाम पर उनकी ढुलाई से लेकर अन्य तमाम कार्यों में नियमों को हवा में उड़ा दिया गया। बल्कि उगाही की आड़ में अवैध रूप से पशुओं की आपूर्ति करने वालों को इसकी खुली छूट दी गई। जागरण ने इसे लेकर अभियान चलाया तो प्रशासन ने गुप्त जांच के बाद छापेमारी की तो सारे खेल की पोल खुलकर सामने भी आ गई। इसमें छापामारी करने के लिए निकली टीम की जान पर भी बन आई। अगले ही दिन पुलिस ने छापेमारी की तो एक मवेशी डिपो से सात ट्रकों में भूसे की तरह से लदे पशुओं को भी पकड़ा। ट्रक चालकों को पुलिस ने गिरफ्तार किया जबकि डिपो स्वामी के विरुद्ध कार्रवाई की बात कहीं लेकिर बाद में पलट गई। अब तक फर्द में शामिल डिपो स्वामी का नाम मुकदमे शामिल नहीं किया। बल्कि जांच के नाम पर मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया।बीते 14 दिसंबर को कोतवाली पुलिस ने औद्योगिक क्षेत्र दही चौकी में पशुओं से भरे सात ट्रक मुर्गीदाना फैक्ट्री से बरामद किए। पुलिस की पड़ताल में पता चला कि पकड़े गए सातों ट्रकों से पशुओं को वहीं रोका जाता है और बाद में वहां से उतार कर स्लाटर हाउस भिजवा दिया जाता है। छापेमारी के बाद स्लाटर हाउस इसका खुलासा हुआ तो तो अवैध रूप से पशुओं की आपूर्ति करने वाले गिरोह को संरक्षण देने में डिपो स्वामी का नाम भी सामने आया। लेकिन शाम तक चली पंचायत के बीच हुई से¨टग गे¨टग में डिपो स्वामी का नाम पुलिस की एफआइआर से गायब होकर केवल फर्द तक सीमित रह गया। पुलिस का यह खेल सामने आने के बाद चर्चाएं शुरू हुई तो जांच में नाम शामिल करने की बात तो कही गई लेकिन समय बीतने के साथ पुलिस ने अपने रिश्तों को तरजीह देते हुए अवैध मवेशी डिपो संचालक को ही पूरी तरह से बाहर रखा। यही कारण है अब तक उस मामले में किसी पर कार्रवाई नहीं हुई। सिवाए उन पशुओं की बरामदगी के जो पुलिस द्वारा बरामद किए गए थे, जो काफी समय तक पुलिस की अभिरक्षा में ही भूखे प्यासे एक भूखंड में बंधे रहे। इधर डेढ़ माह बीतने के बाद भी पुलिस की जांच पूरी नहीं हुई है जिसके चलते अवैध कारोबार में संलिप्त लोग फिर से उसी कारोबार में लग गए।

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धाराओं में शुरू से ही कर दिया था खेल

पुलिस द्वारा छापेमारी के दौरान खामिया बड़े पैमाने पर पायी गई और गिरफ्तारी भी हुई लेकिन पकड़े गए लोगों को राहत देने के लिए पुलिस ने पहले पुलिस ने 11 ए पशुक्रूरता अधिनियम की धाराओं में कार्रवाई की। धारा के तहत सात वर्ष से कम सजा होने के कारण पकड़े गए लोगों को थाने से ही जमानत पर छोड़ दिया गया। ऐसा उन लोगों के साथ हुआ जो पुलिस की नामजदगी में थे। समय बीतने के बाद बाकी लोगों को भी मेहमानों की तरह कोतवाली बुलाया गया और फिर वापस छोड़ते हुए कार्रवाई की औपचारिकता पूरी कर दी गई।

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