नहर विभाग की जमीन पर सात साल पहले शुरू हुए थे निर्माण

संवाद सूत्र नवाबगंज हसनगंज तहसील क्षेत्र में नहर विभाग की जमीन पर आलीशान मकान हो अथवा दुका

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 08:37 PM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 08:37 PM (IST)
नहर विभाग की जमीन पर सात साल पहले शुरू हुए थे निर्माण
नहर विभाग की जमीन पर सात साल पहले शुरू हुए थे निर्माण

संवाद सूत्र नवाबगंज: हसनगंज तहसील क्षेत्र में नहर विभाग की जमीन पर आलीशान मकान हो अथवा दुकान, इनका निर्माण सात साल पहले ही शुरू हो गया था। जिस पर विभाग व क्षेत्रीय जिम्मेदारों की नजर पड़ने के बाद भी गंभीरता नहीं दिखाई गई। सोमवार को यहां युद्धस्तर पर गिरवाए गए निर्माण के दौरान पांच मकान ही पूरी तरह जमींदोज हो पाये थे, जिसके बाद मंगलवार को छठे मकान के बचे हिस्से को भी गिराये जाने का काम बुलडोजर से किया गया। निर्माण गिराने के बाद संबंधित भवन स्वामी बेघर हो गए हैं।

सोहरामऊ कस्बे में नहर विभाग की जमीन पर कब्जा हटाने के मामले में सोमवार को देर रात तक चली कार्यवाही में छह में पांच मकान तो ध्वस्त हो गए थे। एक आंशिक ध्वस्त हुआ था। जिसके लिए भी टीम मंगलवार को पहुंची। गिराए गए निर्माणों के बिखरे मलबे को हटवाने का काम शुरू किया गया। जिससे नहर को पुराने स्वरुप में लाकर टेल तक पानी पहुंचाया जा सके। गौरतलब है कि 3.25 किमी लंबी अर्जुनामऊ पंप कैनाल से करीब दो दर्जन गांवो के किसानों को सिचाई प्रबंध था। नहर पुलिया से दोनों तरफ 7-7 मी नहर पटरी है। जिसपर अवैध रूप से प्लाटिंग कर लोगो को जमीन बेची गयी। एसडीएम हसनगंज प्रदीप वर्मा ने बताया की पूरे प्रकरण में जो लोग शामिल हैं उन सबके खिलाफ मुकदमा लिखवाकर भूमाफिया घोषित किया जाएगा।

मुकदमा लिखवाएंगे भवन स्वामी

जिन लोगों के मकान गिराए गए हैं वो अब मुकदमा लिखाने के लिए अपने कागज तैयार कर रहे हैं। बताया कि यह जमीन उनको बेचने वाले और बिल्डर पर मुकदमा लिखाकर ही अपने नुकसान की भरपाई करेंगे। नहर विभाग की इस जमीन पर निर्माण से पहले बाग थी जो सात पहले कट गई थी, जिस पर विभाग राजनीतिक दबाव में सोता रहा था। जिसके बाद बिल्डर ने नहर विभाग की जमीन बेच दी।

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विभाग भी लिखवाएगा मुकदमा

नहर विभाग के जिलेदार संजय यादव ने बताया की सभी लोगों की रजिस्ट्री निकलवाई जा रही हैं। उसके आधार पर जमीन बेचने वाले और गवाहों पर मुकदमा लिखाया जाएगा। उनसे इस तोड़फोड़ में हुए खर्च को करीब पांच लाख रुपये की वसूली की जाएगी।

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