टाप-गुम हो गए यातायात संकेतक, बढ़े हादसे

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By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 11:01 PM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 11:01 PM (IST)
टाप-गुम हो गए यातायात संकेतक, बढ़े हादसे
टाप-गुम हो गए यातायात संकेतक, बढ़े हादसे

संवादसूत्र, सुलतानपुर : सड़क सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार महकमे इस कदर लापरवाह हैं कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर भी यातायात संकेतक नदारद हैं। वर्षों पहले लगाए गए संकेतक न जाने कहां गुम हो गए, इनका अता-पता अधिकारियों को नहीं है। पुलिस-परिवहन हो या लोक निर्माण विभाग सभी एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहराकर अपने उत्तरदायित्व से पल्ला झाड़ रहे हैं।

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बदहाल हैं हाईवे, पट्टिकाएं नदारद

लखनऊ-वाराणसी हाईवे फिलहाल निर्माणाधीन है। धूल के गुबार में संकेतक वाहन चालकों को दिख ही नहीं रहे। सड़क के डिवाइडरों पर रेडियम पट्टिकाएं लगाने का प्रावधान हवा-हवाई साबित हो रहा है। यही हाल प्रयागराज-अयोध्या, लखनऊ-बलिया-आजमगढ़ आदि राजमार्गों का भी है। इस वजह से रोजाना औसतन चार लोग सड़क दुर्घटनाओं में जख्मी हो रहे हैं और हर दूसरे दिन एक आदमी की जान जा रही है।

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चेतावनी सूचक बोर्ड भी गायब

कुछ वर्षों पूर्व तक सड़कों के किनारे स्कूल, अस्पताल व कस्बे-बाजार होने के संकेतक दोनों छोर पर दो-तीन सौ मीटर पहले ही हुआ करते थे। जिससे वाहनों की रफ्तार मंद हो जाती थी। अब ऐसे संकेतक बहुत कम जगहों पर दिखते हैं। कटका-मायंग मार्ग हो या द्वारिकागंज-सेमरी अथवा कूरेभार-बेलहरी। इन सभी से संकेतक नदारद हैं।

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जागरूकता का अभाव भी हादसों का कारण

यातायात माह और सड़क सुरक्षा सप्ताह का आयोजन पुलिस एवं परिवहन महकमे की ओर से हर साल-छह माह पर होते रहते हैं। इनमें जागरूकता संगोष्ठी की औपचारिकता निभाई जाती है, लेकिन चालकों को ही संकेतकों की भाषा प्राय: समझ नहीं आती। लोक निर्माण विभाग भी अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़े हुए है।

---------- -वाहन चालकों को यातायात नियमों की समझ होनी चाहिए। चालकों का नियमित परीक्षण किया जाता है। आमजनों में जागरूकता होनी आवश्यक है, तभी हादसे थमेंगे।

-अखिलेश द्विवेदी, एआरटीओ (प्रवर्तन)

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