गोशाला शेड निर्माण में प्रदेश का माडल बनेगा जिला!

जिलाधिकारी ने शासन को भेजा पायलट प्रोजेक्ट स्वीकार करने को पत्र। लागत में 61 प्रतिशत की आई कमी निष्प्रयोज्य पाइपों का अभिनव प्रयोग।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:29 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:29 PM (IST)
गोशाला शेड निर्माण में प्रदेश का माडल बनेगा जिला!
गोशाला शेड निर्माण में प्रदेश का माडल बनेगा जिला!

संजय तिवारी, सुलतानपुर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट गोशाला निर्माण को लेकर प्रशासन ने एक अभिनव प्रयोग किया है। नवाचार कार्यक्रम के तहत पूर्व स्थापित गोवंश आश्रय स्थलों में निष्प्रयोज्य पाइपों से शेड का निर्माण कराया। पंचायती राज विभाग के जरिए हैंडपंप रिबोर व मरम्मत के दौरान भूगर्भ से निकाली गई पाइपों से निर्मित की गई शेड में 61.76 प्रतिशत लागत की कमी आई है।

इससे प्रभावित जिलाधिकारी रवीश गुप्ता ने इस पायलट प्रोजेक्ट को पूरे प्रदेश में माडल के रूप में स्वीकार करने के लिए शासन को पत्र लिखा है। इसमें सीडीओ व डीपीआरओ की प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी संलग्न है। डीएम ने कहा है कि निष्प्रयोज्य पाइपों के प्रयोग से पशु शेड निर्माण कार्य के साथ बिना किसी अतिरिक्त व्यय के नर व मादा गोवंश अस्थायी बाउंड्री भी बनाई गई है।

डीपीआरओ आरके भारती ने बताया कि खराब पाइपों के बेहतर सदुपयोग के साथ टिकाऊ व मजबूत कम लागत में शेड तैयार किया गया। यह पूरे प्रदेश के हर जिले के लिए लाभकारी विधि है। जिलाधिकारी ने हर जिले में इस नवाचार को मान्यता देने के बाबत शासन को पत्र लिखा है।

इसलिए है जरूरी :

गोशालाओं के विकास व उसके अंदर शेड निर्माण की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों की है। बहुत सी ग्राम सभाओं में राज्य वित्त आयोग का इतना धन नहीं होता, जिससे वह गांव के विकास कार्यों के साथ शेड निर्माण पर भी व्यय कर सकें। परंपरागत विधि में बहुत ज्यादा खर्च आता है। लिहाजा निष्प्रयोज्य पाइप का सदुपयोग कर शासकीय धन की बचत की जा सकती है।

यहां से आएगा पाइप :

हर ग्राम पंचायत में एक साल में हैंडपंपों को रिबोर व मरम्मत के दौरान 15 से 20 पाइप खराब निकलती हैं। जिले में ही 19 हजार 500 से ज्यादा पाइप एक साल में उपलब्ध हो जाता है। इसके साथ जरूरी है सीमेंट की चादर या टिनशेड, क्लैंप, सीमेंट व बालू।

यहां अपनाई गई यह विधि :

भदैंया विकास खंड के सौराई गांव में पहला प्रयोग हुआ। साढ़े सात हेक्टेयर में फैली इस गोशाला में पांच शेड हैं। एक शेड के निर्माण पर एक लाख 70 हजार रुपये लागत आई थी, जब पाइप विधि का इस्तेमाल किया गया तो एक शेड पर मात्र 65 हजार रुपये का खर्च आया। इससे एक लाख पांच हजार रुपये की बचत हुई। बहरहाल, यहां 20 गुणे 78 से लेकर 22 गुणे 84 माप के शेड बनाए गए हैं। सीडीओ अतुल वत्स ने बताया कि तकनीक व लागत के लिहाज से यह बेहतर प्रोजेक्ट है।

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