आखिरकार पुलिस गिरफ्त से कहां चला गया फर्जी लेबर इंस्पेक्टर!
कोतवाली के अभिलेखों में नहीं इंद्राज डायल-112 के रिपोर्ट में पकड़कर सौंपने का है जिक्र
सुलतानपुर: वर्दीधारी कौन सा खेल-खेल रहे जिसकी वजह से तीन दिन बाद भी वसूली करते पकड़े गए फर्जी लेबर इंस्पेक्टर का पता नहीं चल रहा है। नगर कोतवाली के अभिलेखों में उसके वहां दाखिल करने का विवरण नहीं दर्ज है, जबकि डायल-112 की एक्शन टेकेन रिपोर्ट में साफ लिखा है कि उसे कोतवाली पहुंचाया गया। फर्जीवाड़ा कर होटल व्यवसायी से लेनदेन करने का आरोपी कहां चला गया। यह बताने वाला कोई नहीं है।
शहर के सिविल लाइन स्थित एक होटल में नौ अगस्त को दोपहर बाद एक युवक ने खुद को लेबर इंस्पेक्टर बताया और जांच पड़ताल शुरू कर दी। उसने पूछताछ के दौरान ही लेनदेन की बात शुरू की तो कर्मियों को शक हो गया। इसकी जानकारी व्यवसाइयों को दी तो व्यापार मंडल के कई पदाधिकारी वहां पहुंच गए।
बातचीत के दौरान पता चला गया कि वह फर्जी अफसर बना हुआ है। इतने में ही भाजपा के नगर मंत्री प्रदीप बरनवाल ने 112 डायल कर दिया तो थोड़ी देर में पीआरबी आ गई। इसके ड्राइवर सर्वेश कुमार व कमांडर हेड कांस्टेबल भगतराम थे। वे संदिग्ध अफसर को लेकर चले गए और अपने मुख्यालय को सूचना दी कि पकड़े गए अरुण तिवारी नशे में था उसे नगर कोतवाली पहुंचा दिया गया।
इस बाबत जब कोतवाल संदीप राय से बात की गई तो उन्होंने स्पष्ट कहा था कि हमारे यहां अभिलेखों में आमद नहीं है। इसलिए फर्जी लेबर इंस्पेक्टर के यहां आने की जानकारी नहीं है। डायल-112 के स्थानीय प्रभारी निरीक्षक श्याम सुंदर पांडेय कहते हैं कि अगर कोई संदिग्ध थाने में दिया जाए तो पीआरबी कमांडर स्वयं रजिस्टर में इंट्री करते हैं और उसकी सूचना मुख्यालय को भेजी जाती है। यहां इंट्री न करना ता लापरवाही हो सकती है, लेकिन जांच से कोतवाली में लगे सीसी कैमरे की फुटेज सच्चाई सामने लगा देगी।