किसानों के लिए मुसीबत बनी बरसात, फसल बर्बादी का मड़राया संकट

तेज हवाओं के साथ तीसरे दिन भी बरसात जारी रही। सितंबर के अंतिम सप्ताह में अपेक्षा से अधिक बरसात किसानों की कमर तोड़ रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 12:22 AM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 05:10 AM (IST)
किसानों के लिए मुसीबत बनी बरसात, फसल बर्बादी का मड़राया संकट
किसानों के लिए मुसीबत बनी बरसात, फसल बर्बादी का मड़राया संकट

सुलतानपुर : मौसम में हुए बदलाव ने एक बार फिर किसानों की मुश्किलों को बढ़ा दिया। पिछले तीन दिनों से तेज हवाओं के साथ हो रही लगातार बरसात के बाद किसान के माथे पर धान की तैयार फसल बर्बाद होने की चिता सताने लगी है। बुधवार को भी पूरे दिन काले बादलों की आवाजाही लगी रही और देर शाम तेज बरसात हुई।

सितंबर के अंतिम सप्ताह में अपेक्षा से अधिक बरसात किसानों की कमर तोड़ रही है। खरीफ सत्र की सबसे महत्वपूर्ण फसल धान को हो रहे नुकसान से किसानों की उम्मीदों पर पानी फिरने की आशंका है। जिले में तकरीबन 96 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल में धान का आच्छादन किया गया है। तेज हवाओं से जहां खेतों में खड़ी फसलें गिर गई। वहीं पानी भरने से धान की बालियां सड़ने के कगार पर है। फसल को बचाना किसानों के लिए चुनौती बना है।

रबी में भी मौसम ने दिया था दगा : बीती फरवरी में रबी की मुख्य फसल गेंहू व अन्य फसलों के पकने की अवधि में शीतकालीन वर्षा और ओला गिरने से किसानों को भारी नुकसान हुआ। वहीं इस साल धान की रोपाई के समय से ही अपेक्षित वर्षा होने से किसान मुदित रहे। फसल बेहतर होने से अच्छे उत्पादन की उम्मीद बनी। बारिश का कहर किसान की बची उम्मीद पर पानी फेर रहा है।

धूप होने पर बदल जाएंगी स्थितियां : आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय के मृदा विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरआर सिंह ने कहा कि अधिकतर धान फसल की कटाई नवंबर माह में होती है। ऐसे में यदि एक दो दिन में मौसम साफ हो गया तो तेज तापमान की धूप निकलने से फसलें सामान्य हो जाएगी। गिरी धान की फसल यदि कई दिन पानी में न डूबी रहीं तो इन्हें भी उबरने का मौका मिल सकेगा।

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