पीड़ित को ही पुलिस ने बना दिया आरोपित
अदालत से मिली फटकार के बाद खाकी हो हुआ गलती का एहसास
सुलतानपुर : पुलिस द्वारा धाराओं को कम करना व बिना आरोप के मुल्जिम बना देना दाएं-बाएं हाथ का खेल है। अपर मुख्य दंडाधिकारी शशिकुमार की अदालत में पुलिस की कलई खुल गई। गुरुवार के दो ऐसे मामले अदालत में पेश हुए जिसमे अदालत ने फटकार लगाते हुए सख्त हिदायत दी कि निर्दोषों का कतई न फंसाया जाए।
पहला मामला थाना मुंशीगंज से संबंधित है। 28 जून को पीड़ित मुख्तार की पत्नी ने थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई कि विजय कश्यप व सुरेश कश्यप ने मिलकर मेरे पति के पैर में गोली मार दी। विवेचना के दौरान पुलिस ने घायल मुख्तार को ही आरोपित बनाया और अदालत में पेश किया। अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए रिमांड को खारिज करते हुए पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और रिमांड अस्वीकार कर दिया। दूसरा मामला थाना कुड़वार का है। मनियापुर निवासी शिवम मौर्या ने जैतुल, रोशन अली, कामरान के ऊपर मारपीट का मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने विवेचना शुरू की और नामजद आरोपितों के इतर रहबर हुसैन को गंभीर धारा आगजनी व जानलेवा हमला का आरोपित बना दिया और न्यायालय में पेश किया। इस मामले में भी पुलिस को मुंह की खानी पड़ी। जज ने पुलिस को कड़ी फटकार लगाई और यह आदेश दिया कि इस प्रकरण में धारा 307 का आरोप बनता ही नहीं।