प्रधानमंत्री के मन की बात नहीं सुन सके अधिकारी और प्रधान

नहीं स्थापित हुआ वर्षा जल केंद्र मनरेगा से नहीं बना चेकडैम।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 11:26 PM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 11:26 PM (IST)
प्रधानमंत्री के मन की बात नहीं सुन सके अधिकारी और प्रधान
प्रधानमंत्री के मन की बात नहीं सुन सके अधिकारी और प्रधान

सुलतानपुर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो वर्ष पहले वर्षा जल संचयन को लेकर जो तरीके अधिकारियों और प्रधानों को सुझाए थे, उन पर अमल नहीं हो सका है। नेशनल वाटर मिशन के तहत कलेक्ट्रेट में वर्षा जल केंद्र की स्थापना भी नहीं हो सकी। सरपंचों को मनरेगा से चेकडैम आदि बनाने के सुझावों पर भी काम नहीं हुआ।

प्रधानमंत्री के 30 जून 2019 को प्रसारित मन की बात कार्यक्रम का मुख्य मुद्दा वर्षा जल संचयन व पानी की बर्बादी रोकना था। उसी साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री ने सभी सरपंचों और प्रधानों को पत्र भेजकर जल संरक्षण के लिए कार्य करने की जरूरत बताई थी। उसके बाद इस मुद्दे पर हुई उच्चस्तरीय बैठक में 'कैच द रेन' को मिशन बनाने पर निर्णय लिया गया। कलेक्ट्रेट में वर्षा जल केंद्र स्थापित करने की सलाह दी गई। जहां तैनात प्रशिक्षित काउंसलर के मोबाइल फोन नंबर सार्वजनिक कर लोगों तक जल सरंक्षण की योजनाओं की तकनीकी जानकारी उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई।

वर्षा जल केंद्र 2019 जून से ही शुरू हो जाना था। इसके बाद नेशनल वाटर मिशन के निदेशक जी. अशोक कुमार ने 11 मई 2020 को सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजा, जिसमें कैच द रेन के तहत रेन वाटर हार्वेस्टिग प्लांट, वाटर पिट, चैकडैम बनाने के साथ जल प्रवाह में बाधा बन रहे अतिक्रमण हटाने के सुझाव शामिल थे। यह भी कहा गया था कि इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा से वित्तीय व्यवस्था की जाए।

जिले में नेशनल वाटर मिशन के पत्र को डीएम से लेकर मुख्य विकास अधिकारी, जिला विकास अधिकारी तक ने देखा। आवश्यक कार्रवाई के निर्देश भी मातहतों को दिए। लेकिन, प्रधानमंत्री के मन की बात पर कोई अमल नहीं हुआ। डीसी मनरेगा विनय श्रीवास्तव ने बताया कि जिले में जल संरक्षण के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं। लेकिन, मनरेगा से कोई चेकडैम नहीं बना है।

क्या है नेशनल वाटर मिशन :

भूजल के घटते स्तर तथा नदी और जलाशयों पर अतिक्रमण आदि की समस्या पर जब सर्वोच्च न्यायालय ने तालाबों को मुक्त कराने का आदेश दिया था तभी सरकार से इसके लिए विस्तृत योजना बनाने को भी कहा था। संसद में कानून पारित करके वर्ष 2011 में नेशनल वाटर मिशन की स्थापना की गई। जल संरक्षण, पानी की बर्बादी रोकने व इसके बराबर वितरण के साथ जल स्त्रोत बढ़ाना ही इसका प्रमुख कार्य है। इसी के निर्देश पर प्राकृतिक व वैकल्पिक जल को लेकर सारी योजना बनती है।

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