दस मिनट में पास किया गया 68 करोड़ के आय-व्यय का बजट
सात सभासदों के बहिष्कार के बीच नगर पालिका परिषद का
सुलतानपुर : सात सभासदों के बहिष्कार के बीच नगर पालिका परिषद का वार्षिक बजट नए वित्तीय वर्ष के लिए शुक्रवार को बोर्ड की बैठक में पास कर दिया गया। इस बैठक में बोर्ड ने आम नागरिकों पर गृह और जलकर की वृद्धि की है। वहीं नपा की दुकानों के किराए में भी बढ़ोत्तरी की गई है।
बीते वर्ष के वित्तीय वर्ष में आई अड़चनों और सभासदों के पुरजोर विरोध के बाद तीन माह तक यह बजट लंबित था। इन स्थितियों से सबक लेते हुए परिषद प्रशासन ने बोर्ड बैठक का कोरम पूरा करते हुए वार्षिक बजट सहर्षता से पास करा लिया। परिषद के सभागार में हुई इस अहम बैठक में 65 करोड़ 62 लाख 64 हजार 835 रुपये की आय दिखाई गई है और 64 करोड़ 15 लाख 46 हजार 89 रुपये का व्यय दर्शाया गया है। एक करोड़ 47 लाख 18 हजार 746 रुपये की बचत दिखाई गई है। अध्यक्ष सहित 23 सभासदों की मौजूदगी में यह बजट पास किया गया। नौ वर्ष बाद आमजन पर बढ़ा कर का बोझ
नपा की आय का प्रमुख जरिया माने जाने वाले गृह और जलकर में 20 प्रतिशत की वृद्धि की गई है। आवासीय और व्यवसायिक गृह और जलकर अब आम जनों को 20 फीसद बढ़कर चुकाना होगा। यह वृद्धि 2012 के बाद नौ वर्ष के अंतराल पर की गई है। वहीं नगर पालिका की दुकानों के भी किराए में भी बढ़ोत्तरी की गई है। भूतल पर बनी दुकानों से छह रुपये प्रति वर्ग फीट और प्रथम तल की दुकानों पर पांच रुपये प्रति वर्गफीट की दर से वसूला जाएगा।
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बोलीं पालिकाध्यक्ष
अध्यक्ष बबिता जायसवाल ने कहा कि कर वृद्धि निश्चित तौर पर आम जनों पर आर्थिक बोझ बढ़ाती है लेकिन दुकानों का किराया इतना कम था कि उससे उनकी मरम्मत और देखभाल तक नहीं की जा पा रही थी। आवासीय और व्यवसायिक गृह व जलकर की वसूली पालिका की आय का प्रमुख साधन है। इसे वसूलने में पहले से ही शिथिलता थी। ऐसे में इन करों मे बढ़ोत्तरी करना मजबूरी बन गई है।
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सभासदों ने किया बहिष्कार
विभिन्न वार्डों से नगर परिषद के लिए निर्वाचित सात सभासदों ने बोर्ड की बजट बैठक का बहिष्कार किया। सभासद कुसुमलता, मंजू सिंह, सुधीर तिवारी, अमोल वाजपेयी, अजय सिंह और डॉ.संतोष सिंह ने यह बहिष्कार करते हुए अध्यक्ष और अधिशासी अधिकारी को पत्र व ज्ञापन सौंपा। इन सभासदों का तर्क है कि बैठक में किसी तरीके की विकास और जनसमस्याओं की चर्चा नहीं की जाती। ऐसे में बैठक में भागीदारी का कोई औचित्य नहीं है।