लड़कियां ला रहीं सुपोषण का उजाला
एमएससी गृह विज्ञान की प्रथम और द्वितीय वर्ष की 40-40 छात्राएं अपने महाविद्यालय के आसपास एक गांव को गोद लेती हैं। पाठ्यक्रम के प्रैक्टिकल में इस गांव को कुपोषण से मुक्त करने का अभियान साल भर चलता है।
गोपाल पांडेय, सुलतानपुर
तमाम सरकारी योजनाओं के संचालन के बाद भी कुपोषण की जंग नहीं जीती जा सकी है। वहीं, कुछ छात्राओं ने अपने प्रोजेक्ट वर्क के जरिए कई गांवों के लोगों को सुपोषित होने की न सिर्फ सीख दी है बल्कि व्यवहारिक रूप से महिलाओं, लड़कियों और बच्चों को सुपोषित होने में दक्ष कर दिया है। इनकी उपलब्धियां और कार्य सरकारी तंत्र सहित अन्य के लिए नजीर बने हैं।
समाज को स्वस्थ रखने की इसी मुहिम से विकास खंड कूरेभार के दर्जन भर गांव के लोग पूरी तरह सुपोषित हैं। क्षेत्र के सैदपुर, रतनपुर, चांदपुर, मधुवन, आदि गांवों के पक्के मकान में रहने वाले हों या फिर झोपड़ पट्टी के श्रमिक सभी परिवारों की महिलाएं, बालिकाएं और बच्चे पूरी तरह सुपोषित हैं और जानते हैं कि साधारण खानपान से कैसे निरोगी रहा जा सकता है। यह चमत्कार सरकारी कोशिशों से नहीं बल्कि गृह विज्ञान में एमएससी कर रही लड़कियों के सामूहिक प्रयास से हुआ है। कमला नेहरू भौतिकी एवं सामाजिक विज्ञान संस्थान की एमएससी गृह विज्ञान की प्रथम और द्वितीय वर्ष की 40-40 छात्राएं अपने महाविद्यालय के आसपास एक गांव को गोद लेती हैं। पाठ्यक्रम के प्रैक्टिकल में इस गांव को कुपोषण से मुक्त करने का अभियान साल भर चलता है। सप्ताह में एक दिन छात्राएं गांव में रुककर गर्भवती, धात्री, बच्चों एवं किशोरियों को कुपोषण से बचाने के लिए उनके घरों में उपलब्ध खाद्य पदार्थों के सदुपयोग और संतुलित आहार की व्यवहारिक जानकारी देती हैं। खाना पकाने, खाने व रखरखाव के सही तरीके छात्राओं द्वारा सिखाया जाता है। कौन सा खाद्य पदार्थ किस आयु वर्ग के लोगों के लिए जरूरी है और क्या न खाएं इस पर भी ग्रामीण की क्लास ली जाती है। दी गई सीख को कितना अमल में लाया जा रहा है, इसकी भी जांच यह छात्राएं करती रहती हैं। गृह विज्ञान प्रवक्ता डा. बबिता वर्मा ने बताया कि लड़कियां पूरे मनोयोग से इस काम में लगती हैं, उन्हें इसके लिए अंक दिए जाते हैं।