हरी मिर्च की खेती से लाल हो रहे लखनी के किसान

कई महिलाओं को भी मिला है रोजगार

By JagranEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 10:51 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 11:18 PM (IST)
हरी मिर्च की खेती से लाल हो रहे लखनी के किसान
हरी मिर्च की खेती से लाल हो रहे लखनी के किसान

अश्विनि सिंह, मोतिगरपुर (सुलतानपुर) : यूं तो स्वाद में मिर्च तीखी होती है लेकिन बिना मिर्च के भी व्यंजनों का स्वाद बेमजा लगता है। लखनी गांव के किसानों के लिए मिर्च की खेती किसी वरदान से कम नहीं है। प्रतिवर्ष लाखों का मुनाफा तो कमा ही रहे हैं साथ ही दर्जन भर महिलाओं को रोजगार भी दिया।

किसान राकेश यादव ने तीन बीघा मिर्चे की खेती से एक नई मंजिल तलाश ली है। इनका खेत घर से पांच किलोमीटर दूर पारसपट्टी गांव में है, जहां वे अपनी माटी को उपजाऊ बनाकर अच्छी खेती कर रहे हैं। वे पिछले आठ वर्षों से मिर्चे की खेती करते आ रहे हैं। वे कहते हैं कि जुलाई माह के अंत में मिर्चे की नर्सरी लगाई गई थी। सितंबर के पहले हफ्ते से मिर्चे की तुड़ाई हो रही है। रोजाना औसतन एक कुंतल मिर्चे की तुड़ाई होती है। उन्होंने बताया की अब तक 90 क्विटल से अधिक मिर्चे की बिक्री की जा चुकी है। औसतन चार हजार रुपये क्विटल के भाव के हिसाब से साढ़े तीन लाख रुपये से अधिक की आमदनी हुई है, जिसमें से करीब तुड़ाई, मजदूरी, दवा, खाद आदि एक लाख रुपये के आसपास खर्च भी आया है। वहीं वर्ष भर में मिर्चे की तुड़ाई दो बार की जाती है। कभी नुकसान नहीं उठाना पड़ा। उन्हीं की देखादेखी गांव के कई किसानों ने मिर्च की खेती में हाथ आजमाना शुरू किया और आज उनकी स्थिति बदल गई है।

कोरोना जैसे हालात में दर्जन भर महिलाओं को मिला रोजगार :

तीन बीघे खेत के मिर्च को तीन चार महीने तक लगातार तोड़ना पड़ता है। इस कार्य में दर्जन भर गांव की महिलाओं को इस काम के लिए रोजगार भी दे रखे हैं। रोजाना दोपहर तक करीब दस बारह महिलाएं एक से डेढ़ क्विटल मिर्च तोड़ती हैं। प्रत्येक महिला को दोपहर तक की रोजाना सौ रुपये मजदूरी मिल जाती है।

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