वानिकी के जरिए समृद्धि की राह पर चलेंगे किसान

जिले में कुल क्षेत्रफल का तकरीबन 0.45 प्रतिशत ही वन विस्तार है। खाली जमीन और मेड़ पर वृहद पौधारोपण कराया जाएगा। इमारती लकड़ी के पौधे मानसून सत्र में रोपे जाएंगे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2021 11:52 PM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2021 11:52 PM (IST)
वानिकी के जरिए समृद्धि की राह पर चलेंगे किसान
वानिकी के जरिए समृद्धि की राह पर चलेंगे किसान

सुलतानपुर : किसानों को समृद्धि की राह पर लाने के लिए परंपरागत खाद्यान्न उत्पादन के साथ उन्हें वानिकी से जोड़ा जाएगा। इससे खेती मुनाफे में तब्दील हो सकेगी। किसानों को अपनी खाली जमीन पर बांस उत्पादन के साथ खेत के मेड़ पर बाड़ के रूप में मेहंदी और करौंदा लगाने के लिए सहायता दी जाएगी। इस बाड़ में इमारती लकड़ी के पौधे मानसून सत्र में रोपे जाएंगे। योजना से किसानों को दीर्घकालीन आर्थिक लाभ तो मिलेगा साथ ही पर्यावरण संरक्षण की मंशा भी पूरी हो सकेगी।

प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी आनंदेश्वर प्रसाद ने बताया कि मानसून सत्र शुरू होने से पूर्व सभी पौधों के लिए सभी नर्सरी की नियमित देखभाल की जा रही है। शीशम, कंजी, जामुन, पीपल, पाकड़़, गोल्डमोहर, बरगद, महुआ व बांस आदि प्रजाति के पौधे तैयार किए जा रहे हैं। मौसम में हो रहे बदलाव के मद्देनजर इनमें नमी, उर्वरक व पोषक तत्व प्रबंधन का विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कृषि-वानिकी के लिए लोगों को स्वस्थ पौधा उपलब्ध कराने के लिए विभाग प्रतिबद्ध है।

वन प्रक्षेत्र में हो सकेगी वृद्धि :

बढ़ती जनसंख्या और शहरीकरण के परिणाम स्वरूप घटते वन प्रक्षेत्र को देखते हुए किसानों की रुचि कृषि के साथ वानिकी में भी उन्हें अवसर प्रदान करने के प्रयास किए जा रहे हैं। खेत की मेड़ पर व्यावसायिक पेड़ उत्पादन के प्रति जिले के किसान जागरूक हुए हैं। सागौन, शीशम सहित अन्य उपयोगी लकड़ी और फलदार वृक्ष तैयार करने के लिए किसानों को कृषि-वानिकी की दिशा में आगे लाने के लिए प्रेरित किया जा रहा। मेड़ पर किनारे आर्थिक रूप से लाभकारी प्रजातियों के रोपण के प्रति किसानों में जागरूकता भी आई है।

घटते रकबे की होगी भरपाई :

पीढ़ी बदलाव होते ही भूमि क्षेत्र संकुचित होने के कारण तेजी से बागों का क्षेत्र समाप्त होता जा रहा है। बावजूद इसके आर्थिक महत्व के कारण लोग पौधारोपण को लेकर सचेत हुए हैं। जिले में कुल क्षेत्रफल का तकरीबन 0.45 प्रतिशत ही वन विस्तार है। ऐसे में वनावरण की वृद्धि भी कृषि-वानिकी के जरिए ही संभव है। विभाग की ओर से खेत की मेड़ पर पौधे लगाने की सलाह दी रही है। जिले के सभी क्षेत्रों में खेतों की मेड़ पर क्रमवार लगाए गए पौधों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है।

chat bot
आपका साथी