ललक पर निर्भर जलस्तर को बढ़ाने का जतन

एक टैंक की सक्रियता से दो सौ वर्ग मीटर क्षेत्रफल में बेहतर रहता है जलस्तर।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 12:04 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 12:04 AM (IST)
ललक पर निर्भर जलस्तर को बढ़ाने का जतन
ललक पर निर्भर जलस्तर को बढ़ाने का जतन

गोपाल पांडेय, सुलतानपुर

सूख रही धरती की कोख कम खर्च पर आबाद की जा सकती है। दरअसल, छत पर बारिश के पानी को सहेजने का उपाय कर आसपास के क्षेत्र का भूजल स्तर बेहतर करने के प्रति लोगों में उत्साह नहीं है। घर का नक्शा बनाने वाले आर्किटेक्ट (वास्तुविद) इसी अरुचि के चलते कागज पर ही इसके निर्माण तक सिमटे हैं। इसी का परिणाम है कि वर्षा जल संचयन की प्रणाली से ज्यादातर आवास वंचित हैं। वास्तुविदों का मानना है कि इसे बनाने के लिए गृह स्वामी में ललक होने के साथ जतन करना होता है।

संग्रह की कई हैं श्रेणियां :

एक हजार वर्ग फीट और इससे अधिक के क्षेत्रफल में निर्मित होने वाले भवन में वर्षा जल संचयन प्रणाली की स्थापना अनिवार्य है। भवन नक्शा में इसके लिए स्थान आरक्षित होना और निर्माण का प्रारूप का उल्लेख विस्तार से किया जाता है। विनियमित क्षेत्र में नक्शा निर्माण के लिए पंजीकृत अधिकृत वास्तुविद ओपी श्रीवास्तव ने बताया कि जल संग्रह के लिए कई तकनीक हैं। अमूमन जल संग्रह टैंक की गुणवत्ता पर इसका व्यय आधारित है।

टैंक की क्षमता 4000 लीटर, आकार 15 गुणा 10 फीट व न्यूनतम अनुमानित व्यय पांच से 10 हजार रुपये टैंक की क्षमता 8000 लीटर, आकार 30 गुणा 20 फीट और न्यूनतम अनुमानित व्यय 10 से 15 हजार रुपये है। इससे अधिक क्षमता के टैंक का निर्माण व्यावसायिक भवनों में किया जाता है। क्षमता गुणवत्ता व बोरिग की गहराई बढ़ाने पर उसी अनुपात में व्यय बढ़ता है। एक टैंक की सक्रियता से दो सौ वर्ग मीटर क्षेत्रफल में जलस्तर गिरने से रुकता है।

ये हैं जल संचय की प्रणालियां :

200 से 300 मिमी औसत वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में बारिश का पानी भूजल स्तर बढ़ाने के लिए चार से आठ हजार लीटर क्षमता का टैंक पर्याप्त है। इसके लिए निर्धारित क्षेत्रफल में खोदे गए टैंक की सबसे निचली सतह पर बालू फिर मोटी मौरंग और ऊपरी सतह पर गिट्टी डाली जाती है। छत से एक पाइप के जरिए इसमें जल आता है। पानी ओवर फ्लो न हो इसके लिए कई नाजिल व टोटी आदि लगाई जाती है।

कच्ची रहती हैं सतह व दीवारें :

टैंक की सतह और चारों दीवारें कच्ची रहती हैं। मजबूती और ऊपर से ढकने के लिए जालीदार दीवार बनाई जा सकती है। कच्ची दीवारों की चूना पत्थर और ब्रिक पाउडर से पुताई की जाती है।

नहीं दी जाती प्रशासनिक मदद :

निजी आवासों में वर्षा जल संचयन के लिए प्रशासनिक या विभागीय स्तर पर इस दिशा में कोई मदद नहीं दी जाती है। भवन का नक्शा बनाने वाले ही इसका निर्माण कराते है। लघु सिचाई विभाग के सहायक अभियंता पीके सिंह ने बताया कि विभाग के तकनीकी कर्मी टैंक निर्माण के लिए आने वालों को जानकारी उपलब्ध कराने का प्रयास करते हैं।

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