नहीं चढ़ा सांसद मेनका गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर रंग

राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत साढ़े चार बीघे में मेहंदी के 1500 पौधों के साथ लगाए गए थे नीबू के पौधे। सूख गए पौधे टूट गई महिलाओं के उत्थान की उम्मीद।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 11:08 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 11:08 PM (IST)
नहीं चढ़ा सांसद मेनका गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर रंग
नहीं चढ़ा सांसद मेनका गांधी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर रंग

शिवशंकर पांडेय, सुलतानपुर

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सांसद मेनका गांधी द्वारा शुरू किया गया ड्रीम प्रोजेक्ट उम्मीद पर खरा नहीं उतरा। राष्ट्रीय आजीविका मिशन व मनरेगा के तहत लगाए गए 1500 मेहंदी व नीबू के पौधे सूख गए। अफसर गोलमोल जवाब दे रहे है तो समूह की महिलाएं जिम्मेदारों की अनदेखी से नाराज है।

गत वर्ष 17 दिसंबर को संसदीय क्षेत्र भ्रमण पर आईं सांसद मेनका गांधी ने रुदौली गांव में संचालित राधा महिला समूह का चयन कर कोषाध्यक्ष कमला देवी के साढ़े चार बीघा खेत में 1500 मेहंदी और 556 की संख्या में नीबू के पौधे लगाकर योजना की शुरुआत की थी। योजना के जरिए सांसद आधी आबादी के आय की नई व्यवस्था कर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना चाहती थी। इसमें जिले के आला अधिकारियों को भी शामिल किया गया था।

पीलीभीत व बरेली की तर्ज पर शुरू हुआ था प्रोजेक्ट :

सांसद द्वारा पीलीभीत, बरेली की तर्ज पर जिले में भी नीबू व मेहंदी की खेती शुरू की गई थी। उद्यान विभाग द्वारा नीबू तथा कृषि विज्ञान केंद्र से मेहंदी के पौधे मंगाए गए थे। पौधों की रोपाई के बाद कोई अधिकारी व जिम्मेदार वहां नहीं पहुंचा, जिससे स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को मदद नहीं मिल और मेहंदी के सभी पौधे सूख गए। कोषाध्यक्ष के पति राधेश्याम ने बताया कि अभी तक केवल नीबू, मेहंदी रोपाई में छह दिन की मजदूरी मिली है। देखरेख, खाद पानी, अन्य कोई सुविधा व धन नहीं मिला न ही कोई अधिकारी दोबारा आया है।

एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे अधिकारी :

एपीओ मनरेगा आशुतोष ने बताया कि हमको खाद व पौधे रोपने का खर्च देना था, जो हमने राधा स्वयं सहायता समूह को भुगतान कर दिया है। उसकी देखरेख समूह करेंगे। वहीं खंड विकास अधिकारी आशीष कुमार मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहते हैं कि यह हमारे कार्यकाल का मामला नहीं है। हमको इसकी कोई जानकारी नहीं।

ब्लाक प्रबंधक, राष्ट्रीय आजीविका मिशन संदीप कुमार वैश्य ने बताया कि मनरेगा के तहत खेत की बैरीकेडिंग होनी थी और देखरेख के लिए एक केयर टेकर महिला की तैनाती होनी थी। खाद, मैटीरियल, सिचाई सब मनरेगा से होना था, लेकिन कुछ नहीं हुआ है। इसकी देखरेख को लेकर समूह की महिलाओं से वार्ता की जाएगी।

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