आपदा में थमी पढ़ाई तो बेटियों ने खोली पाठशाला

सिपाह गांव की राधा और सुमन चला रही अनवरत कक्षाएं प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक व शिक्षक भी कर रहे सहयोग।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 30 Oct 2020 01:11 AM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 01:11 AM (IST)
आपदा में थमी पढ़ाई तो बेटियों ने खोली पाठशाला
आपदा में थमी पढ़ाई तो बेटियों ने खोली पाठशाला

अभिषेक मालवीय, सुलतानपुर

कोरोना महामारी में जब सभी स्कूल कालेज बंद कर दिए गए। तब गांव की पढ़ी-लिखी बेटियों ने बच्चों की शिक्षा का बीड़ा उठा लिया। शारीरिक दूरी का अनुपालन करते हुए गांव में पाठशाला शुरू कर दी। पिछले तीन महीनों से उनकी कक्षाएं अनवरत जारी हैं।

कोरोना संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए मार्च माह से लॉकडाउन के दौरान सब कुछ बंदकर दिया गया था। विद्यालयों में जहां बच्चों का शिक्षण कार्य ठप हो गया और अभिभावकों को उनके भविष्य की चिता सताने लगी। तभी जयसिंहपुर विकास खंड के सिपाह गांव की दो बेटियां सुमन पाल और राधा धुरिया ने गांव में बच्चों की एक पाठशाला खोल दी। गांव के बाग में प्रतिदिन शाम को दो घंटे की कक्षाएं चलने लगी। शुरुआत में बच्चों की संख्या तो सीमित रही लेकिन, धीरे-धीरे अभिभावकों का रुझान बढ़ा और बच्चों की संख्या में भी इजाफा हो गया। पाठशाला के दौरान बच्चों को कोरोना संक्रमण से बचाव के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है।

प्रधानाध्यापक ने की थी पहल : सिपाह प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार जुलाई में गांव पहुंचकर छात्रों का हालचाल जाना तो गांव में बच्चे खेलते मिले। उन्होंने अभिभावकों से पढ़ाई-लिखाई के बारे में बातचीत की। इस पर अभिभावकों ने अपने को पढ़ा-लिखा नहीं होने व समय के अभाव की बात बताई। इसके बाद उन्होंने गांव में सुमन और राधा के बारे में जानकारी हुई तो उनसे पाठशाला चलाने की चर्चा की। दोनों सहर्ष राजी हो गईं। अब जब विद्यालय खुल गए है तो प्रधानाध्यापक के साथ सहायक अध्यापिका नीलम यादव, शिक्षामित्र बालकुमार यादव व प्रीती सिंह भी गांव की पाठशाला में पहुंचकर पठन-पाठन में सहयोग दे रहे हैं।

परास्नातक हैं बेटियां : राधा धुरिया और सुमन पाल परास्नातक तक की पढ़ाई पूरी कर अब प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं। दोनों गरीब परिवार से हैं। पाठशाला संचालन के बाद इनके परिवार का मान सम्मान गांव में और बढ़ गया है। पूरा परिवार बेटियों के इस कार्य की सराहना करते नहीं थक रहा है।

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