विस्फोटक पदार्थ की कमी से ओवी कंपनियों में काम प्रभावित

एनसीएल की सभी 10 कोल खदानों में ओवर वर्डेन हटाने के लिए निजी कंपनियां संविदा के तहत काम कर रही हैं। पहाड़ों को विस्फोट कर तोड़ा जाता है। ब्लास्टिग कार्य में लगने वाले एक्सप्लोसिव की आपूर्ति कम होने से निजी कंपनियों के काम बंद होने के कगार पर आ गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 28 Feb 2021 08:57 PM (IST) Updated:Sun, 28 Feb 2021 08:57 PM (IST)
विस्फोटक पदार्थ की कमी से ओवी कंपनियों में काम प्रभावित
विस्फोटक पदार्थ की कमी से ओवी कंपनियों में काम प्रभावित

जागरण संवाददाता, अनपरा (सोनभद्र): एनसीएल की सभी 10 कोल खदानों में ओवर वर्डेन हटाने के लिए निजी कंपनियां संविदा के तहत काम कर रही हैं। पहाड़ों को विस्फोट कर तोड़ा जाता है। ब्लास्टिग कार्य में लगने वाले एक्सप्लोसिव की आपूर्ति कम होने से निजी कंपनियों के काम बंद होने के कगार पर आ गए हैं। एक्सप्लोसिव की कमी की मार झेल रही ओवी कंपनियों के अधिकांश मशीनें खड़ी हैं। लेबनान में अमोनियम नाइट्रेट के स्टाक में हुए विस्फोट के बाद विशाखापत्तनम स्थित बंदरगाह में भंडारण को लेकर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे पूरे देश में अमोनियम नाइट्रेट की कमी हो गई है। इससे कोल इंडिया भी अछूता नहीं रह गया है। इसका असर एनसीएल की कोल खदानों में भी स्पष्ट रूप से देखने को मिल रहा है। आयात पर बढ़ी एक्साइज ड्यूटी व प्रतिबंध के कारण एक्सप्लोसिव आपूर्ति कम हो रही हैं। गत कई माह से यह समस्या बनी हुई है। ओवी कंपनियों द्वारा कुछ मशीनें खड़ी कर दिए जाने से मजदूरों पर भी असर पड़ने की संभावना बन रही है। एनसीएल में प्रतिवर्ष खपत होती है 2.5 लाख टन एक्सप्लोसिव

एनसीएल कोयला उत्पादन खनन के लिए प्रतिवर्ष लगभग 2.5 लाख टन एक्सप्लोसिव का उपयोग करती रही है। चालू वित्तीय वर्ष में एनसीएल को 113 मिलियन टन कोयले का उत्पादन 31 मार्च तक करना है। लगभग 25 हजार टन प्रतिमाह एक्सप्लोसिव की जरुरत एनसीएल में पड़ती है। निजी कंपनियों को भारी क्षति

जयंत व कहुआनाला स्थित इंडियन आयल कारपोरेशन कि एक्सप्लोसिव शाखा द्वारा काफी कम मात्रा में अमोनियम नाइट्रेट की आपूर्ति की जा रही है। ओबी कंपनियां मार्च में अनुकूल समय होने के कारण तेजी से ओबी बेंच्स बनाकर उसका अनुरक्षण करती है। यह कार्य प्री-मानसून से पूर्व किया जाता है। यह सब करने के लिए एक्सप्लोसिव की बेहद जरुरत पड़ती है लेकिन हालात इस कदर बन गए हैं कि सभी निजी कंपनियों में मशीन व मजदूर आइडल हो गए हैं। जिससे उन्हें काफी क्षति उठानी पड़ रही है। मार्च तक होगी सामान्य स्थिति

एनसीएल के पीआरओ रामविजय सिंह ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक्सप्लोसिव कि कमी होने के बावजूद एनसीएल में निर्धारित खपत का 80 फीसदी से अधिक एक्सप्लोसिव निजी कंपनियों को मुहैया कराई जा रही है। मार्च तक स्थिति सामान्य हो जाएगी। सभी निजी कंपनियां व परियोजनाएं मानक के अनुरुप लक्ष्य की ओर बढ़ रहीं हैं।

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