सौर ऊर्जा संयंत्र के बैटरियों में डालते हैं हैंडपंप का पानी

चोरपनिया गांव में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र की बैटरियों में डिस्टिल्ड वाटर की जगह हैंडपंप का पानी डाला जा रहा है। यहां छह तड़ित यंत्र की जगह केवल दो यंत्र ही लगाए गए हैं। 56 एमसीबी में 32 एमसीबी खराब है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 05:18 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 05:18 PM (IST)
सौर ऊर्जा संयंत्र के बैटरियों में डालते हैं हैंडपंप का पानी
सौर ऊर्जा संयंत्र के बैटरियों में डालते हैं हैंडपंप का पानी

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : चोरपनिया गांव में स्थापित सौर ऊर्जा संयंत्र की बैटरियों में डिस्टिल्ड वाटर की जगह हैंडपंप का पानी डाला जा रहा है। यहां छह तड़ित यंत्र की जगह केवल दो यंत्र ही लगाए गए हैं। 56 एमसीबी में 32 एमसीबी खराब है। इसके अलावा चार बैटरी, दो पैनल तथा चार पंखे भी खराब पड़े हैं। प्लांट की देखभाल करने वाली निजी फर्म की कार्यप्रणाली संदेह के घेरे में हैं। वहीं सोलर प्लेटों को साफ रखने के लिए लगाया गया सबमर्सिबल पंप भी पिछले दो वर्षों से खराब है। पिछले चार वर्षों से इस प्लांट पर टेक्नीशियन की नियुक्ति नहीं हो पाई। प्लांट की तकनीकी देखभाल यहां के दो चौकीदार के भरोसे है जिन्हें वेतन भी समय से नहीं मिल रहा।

बता दें कि सामूहिक कर्मठता के दम पर छह किलोमीटर सड़क बनाने वाले आदिवासियों की खबर जून 2016 में दैनिक जागरण में प्रकाशित किया तो शासन की नजर इस गांव पर पड़ी और एक करोड़ की लागत से सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की सौगात दी। पक्की हो पाई नहीं सड़क

लगातार दो वर्षों की कठिन मेहनत कर चोरपनिया के ग्रामीणों ने छह किलोमीटर लंबी सड़क बनाई थी। शासन द्वारा इस मार्ग को पक्का किए जाने की घोषणा की थी, लेकिन चार अब तक पक्की नहीं हुई। इससे लोगों में आक्रोश है। वर्जन--

चोरपनिया सौर ऊर्जा संयंत्र की देखभाल करने वाली निजी फर्म को सभी विसंगतियों को दूर करने का निर्देश दिया गया है। बैटरियों में हैंडपंप का पानी डालना गलत है। मौके पर जाकर जांच की जाएगी।

-प्रेम शंकर, नेडा अधिकारी।

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