यूपी-एमपी बार्डर की बरन नदी पार करना दुर्लभ
दुरुह -प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से यूपी के बार्डर पर जोखिम भरा नजारा - परियोजनाकर्मी लकड़ी बीनने वाले और स्कूली बचों का बन चुका है यह आम रास्ता
जागरण संवाददाता, बीजपुर (सोनभद्र) : प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण यूपी के बार्डर क्षेत्र के बरन नदी में पुल न बनाए जाने से ग्रामीणों को आवागमन में खासा मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उफनाई बरन नदी को बरसात के मौसम में पार कर ग्रामीण बीजपुर परियोजना में ड्यूटी करने आते हैं। इतना ही नहीं सैकड़ों घरों की आबादी वाले गांव से लोगों का रोजी-रोटी से जुड़ा कारोबार जैसे दूध, जलावनी लकड़ी, राशन, दवा इत्यादि के लिए लोग बीजपुर नजदीक होने से यहीं पर आते जाते हैं। सिगरौली जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर और बीजपुर से 8 किलोमीटर की दूर यूपी एमपी सीमा पर बरन नदी पर पुल बनाने के लिए ग्रामीण सांसद, विधायक सहित कलेक्टर को कई बार मांगपत्र सौंपकर ध्यान दिलाए लेकिन जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता के कारण सब रद्दी की टोकरी में डाल दिया गया। गांव के लोगों ने कई बार कलेक्ट्रेट और सीएम हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई लेकिन सब बेकार साबित हुआ। जान जोखिम में डाल कर मरीजों सहित बच्चों को स्कूल तक बीजपुर ही आना जाना होता है। नदी के दोनो तरफ केवल पगडंडी रास्ता भी बरसात के कटान से बर्बाद हो गया है, जिसको अब ग्रामीण खुद फावड़ा और गैता लेकर निर्माण कार्य कर आने-जाने का रास्ता बना रहे हैं। ग्रामीण विद्यानाथ पाल, अवधेश, चंद्र मोहन, दूधनाथ, आनन्द, विहारी, शम्भू, दयाराम, सजीवन सहित अनेक ने मुख्यमंत्री सहित कलेक्टर को पत्र भेज जनहित में तत्काल सर्वे करा कर पुल निर्माण की मांग की है। इनके लिए दुरूह है रास्ता
मध्यप्रदेश की सीमा से ननियागढ़, महूगढ़, जमहर, बेल्दह गांव के 200 से अधिक मजदूर परियोजनाओं में काम करने आते हैं। आदिवासी महिलाएं लकड़ी बीनने आती हैं। बच्चों को स्कूल जाने का यही रास्ता है। इस झंझावत को झेलते हुए वे बीजपुर की दूरी तय करते हैं, अन्यथा उन्हें 25 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है।