आयातित कोयला प्रयोग करने से बढ़ेगी बिजली की लागत

-आडिट की मांग -कम से कम 01.15 रुपये प्रति यूनिट की होगी बढ़ोत्तरी -एआइपीइएफ ने लिखा केंद्रीय बिजली मंत्री आरके सिंह को पत्र

By JagranEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 06:15 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 06:15 PM (IST)
आयातित कोयला प्रयोग करने से बढ़ेगी बिजली की लागत
आयातित कोयला प्रयोग करने से बढ़ेगी बिजली की लागत

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने केंद्रीय विद्युत मंत्री आरके सिंह को पत्र भेजकर आयातित कोयला इस्तेमाल करने की विद्युत मंत्रालय द्वारा दी गई अनुमति पर चिता व्यक्त की है। कहा है कि 15 फीसद आयातित कोयला प्रयोग करने की अनुमति देने से बिजली उत्पादन की लागत में कम से कम 01.15 रुपये प्रति यूनिट की बढ़ोत्तरी होगी। फेडरेशन ने निजी घरानों का फर्जीवाड़ा रोकने हेतु मांग की है कि निजी बिजली उत्पादन घरों का सीएजी आडिट व एनर्जी आडिट किया जाए, जिससे पता चल सके कि वास्तव में कितना आयातित कोयला मिश्रित किया गया। फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे ने बताया कि दक्षिण अफ्रीका से आने वाले 5500 केलोरिफिक वैल्यू के आयातित कोयले की कीमत 22205 रुपये प्रति टन, इंडोनेशिया से आयातित 5000 केलोरिफिक वैल्यू के कोयले की कीमत 21720 रुपये प्रति टन है। जबकि 4000 केलोरिफिक वैल्यू के भारतीय कोयले की कीमत 5150 रुपये प्रति टन है, जो आयातित कोयले की कीमत के एक चौथाई से भी कम है। कहा कि आयातित कोयले की अनुमति देने से बिजली उत्पादन की लागत तो बढ़ने के साथ निजी घरानों को भारी फर्जीवाड़ा करने का मौका मिलेगा, क्योंकि वे सीएजी आडिट व एनर्जी आडिट के दायरे में नहीं आते है। बताया कि आयातित कोयले के नाम पर चल रहे कई निजी घरानों के फर्जीवाड़े की डायरेक्ट्रेट आफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस पहले ही जांच कर रहा है। बताया कि भारतीय कोयला प्रयोग करने पर एक यूनिट बिजली बनाने में लगभग रु 03.22 का कोयला खर्च आता है जबकि 15 फीसद आयातित कोयला मिश्रित करने पर कोयले का खर्च बढ़कर रु 04.37 प्रति यूनिट आएगा। फेडरेशन ने यह भी मांग की है कि केवल आयातित कोयले से चलने वाले 17000 मेगावाट के ताप बिजली घरों को निर्देश दिए जाए कि वे अपने बिजली घरों को पूरी क्षमता पर चलाएं और कोयले से उत्पन्न बिजली संकट के दौर में अपने बिजली घर बंद कर संकट और न बढ़ाएं।

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