भीषण गर्मी में सूख गए ऊर्जांचल के ताल-तलैया

भीषण गर्मी में भू-गर्भ जलस्तर काफी नीचे खिसक जाने के कारण तहसील क्षेत्र के कई गांव पानी की समस्या से जूझ रहे हैं। पेयजल को लेकर कई गांवों में लोगों के बीच रार भी देखी जा रही है। उसके बाद भी जिला प्रशासन की तरफ से इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। पानी की किल्लत से सर्वाधिक कोहरथा तथा भैंसवार गांव के ग्रामीण जुझ रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में एक ही ग्राम पंचायत में टैंकर से जलापूर्ति की जा रही है जो पर्याप्त नहीं है। पानी के लिए मारामारी मची है। एक टैंकर द्वारा जलापूर्ति होने के कारण पानी की कमी देख आपस में लोगों को लड़ते हुए देखा जा रहा है। पानी पर्याप्त न मिलने के कारण ग्रामीणों को डिब्बा व बाल्टी लेकर लगभग आधा से एक किलोमीटर दूर से मजबूरन पानी लाना पड़ रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 May 2019 10:52 AM (IST) Updated:Sun, 26 May 2019 10:52 AM (IST)
भीषण गर्मी में सूख गए ऊर्जांचल के ताल-तलैया
भीषण गर्मी में सूख गए ऊर्जांचल के ताल-तलैया

जासं, अनपरा (सोनभद्र) : क्षेत्र में पड़ रही भीषण गर्मी से ऊर्जांचल के कई ताल-तलैया क्रमश: सुखने लगे हैं। तालाबों के सूखने से पशु-पक्षी व जानवर पानी के लिए व्याकुल होते दिख रहे हैं। कुछ तालाबों की स्थिति पशुओं के लिए चारागाह बनते जा रहे हैं। जल स्तर भी काफी नीचे खिसकता चला जा रहा है। कुछ तालाबों में पानी भरने का प्रयास प्रकृति के सामने बौना साबित होता नजर आ रहा है। गत तीन पखवारे से क्षेत्र में पड़ रही भीषण गर्मी से तालाब सूखने लगे हैं, जिससे पशु-पक्षियों के समक्ष पेयजल की समस्या उत्पन्न हो गई है।

मनुष्य को प्यास लगे तो वह पानी मांग कर अपनी प्यास बुझा लेता है, लेकिन मूक पशु-पक्षियों को प्यास लगने पर उन्हें तड़पना पड़ता है। अक्सर देखा जा रहा है कि प्यासे पशु घरों के सामने दरवाजे पर आकर खड़े हो जा रहे हैं। पशु-पक्षी पूरी तरह से संरक्षित जल पर ही निर्भर रहते हैं। अगर इन स्त्रोतों में पानी सूखने लगे तो उन्हें वहां भटकना पड़ता है। पानी नहीं मिलने पर पक्षी उड़ते हुए बेहोश होकर गिर जाते हैं। गर्मी के मौसम में पक्षियों के लिए भोजन की कमी रहती है। उन्हें भोजन खोजने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। जिससे उन्हें पानी ही एक मात्र सहारा होता है। प्रचंड गर्मी में ऊर्जांचल के मानव सहित पशु-पक्षियों में भी बेचैनी बढ़ गई है। तालाबों के सूखने के साथ हैंडपंपों का जलस्तर गिरते जा रहा है। तालाबों में कलरव करने वाली पक्षियों का पलायन हो गया है। तापमान में निरंतर बढ़ोत्तरी से सीधा प्रभाव जलस्तर पर पड़ा है। व्यापक जलप्रबंध का अभाव समेत तालाब में पानी के समुचित बहाव नहीं होने से जल्दी ही तालाब सूख जा रहे हैं। जिससे पशु-पक्षी व जलीय जीवों के जीवन पर संकट मंडराने लगा है। महज तालाब खोदवाने व उसका जीर्णोंद्धार करवाना ही काफी नहीं है इसके लिए तालाब में जलभराव के लिए समुचित प्रबंध करना होगा। बीना परियोजना आवासीय परिसर स्थित विशालकाय तालाब का अधिकांशत: हिस्सा सूख गया है। सुबह-शाम पशुओं के लिए यह तालाब चरागाह बना हुआ है। परियोजना प्रबंधन द्वारा बोरिग कराकर तालाब में पानी डाला जाता है। भीषण गर्मी के चलते बोरिग का पानी तालाब को नहीं भर पा रहा है। तालाब के सूखने से क्षेत्र के झुग्गी झोपड़ी के रहवासियों को ज्यादा परेशानी बढ़ गई है। वे इसी तालाब में स्नान करते हैं। कालोनी क्षेत्र की मांगलिक कार्यक्रम से जुड़े विधान व सभी पर्वों के मूर्ति विसर्जन इसी तालाब में होता है। यही कमोवेश अन्य क्षेत्रों के तालाबों की स्थिति है। तालाबों में जल भराव की ठोस कवायद नहीं की गई है। जिससे अक्सर गर्मियों के मौसम में तालाब सूख जाते हैं।

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