बिजली विभाग के आइटी सिस्टम में सुधार की दरकार

जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) पिछले वर्ष पूर्वांचल वितरण निगम के निजीकरण के मसौदे को ल

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 07:00 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 07:00 PM (IST)
बिजली विभाग के आइटी सिस्टम में सुधार की दरकार
बिजली विभाग के आइटी सिस्टम में सुधार की दरकार

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : पिछले वर्ष पूर्वांचल वितरण निगम के निजीकरण के मसौदे को लेकर हुए आंदोलन के बाद ऊर्जा निगमों में वृहद सुधार का निर्णय लिया गया था। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने भी सुधार संबंधी प्रस्ताव प्रदेश के ऊर्जा मंत्री को सौंपा था। लेकिन एक वर्ष बीतने के बावजूद कोई खास सुधार नहीं दिख रहा है। खासकर सूचना तकनीक को लेकर अभी भी तमाम खामियां व्याप्त हैं। किसी भी विभाग का आइटी सिस्टम इस प्रकार का होना चाहिए जो न केवल समस्त कार्मिकों के दिन प्रतिदिन कार्यों में सहायक सिद्ध हो सके, साथ ही उपभोक्ताओं की सेवाओं का भी उचित निराकरण निश्चित करने में सहायक हो। संघर्ष समिति के अनुसार वर्ष 2012 में मैसर्स एचसीएल द्वारा ओरेकल आधारित बिलिग साफ्टवेयर लागू किया गया था। जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के एप्लीकेशन माड्यूल्स को एक्टिवेट किया जाना था, परंतु स्थानीय अधिकारियों के बार-बार इंगित किए जाने के बावजूद उपरोक्त समस्त माड्यूल्स को नौ वर्षों में भी अभी तक एक्टिवेट नहीं किया गया। समस्त एप्लीकेशंस माड्यूल्स को समय पर लागू न करने के कारण होने वाले विभागीय नुकसान के ²ष्टिगत पूरा सिस्टम विभाग द्वारा अधिग्रहण किया जाना चाहिए। इसी प्रकार ओमनी नेट द्वारा नए संयोजन हेतु झटपट पोर्टल बनाया गया है। जिसमें व्यवहारिक स्तर पर कई कमियां है, लगभग ढाई वर्ष बीत जाने के उपरांत भी क्षेत्रीय अधिकारियों द्वारा इंगित कमियों का निराकरण नहीं किया जा रहा है। आनलाइन बिलिग सिस्टम जो कि न तो पूर्ण रूप से कार्यशील है और न ही सही तरीके से कार्य कर रहा है। ऐसे में यह अति आवश्यक है कि इसकी पुन: समीक्षा करके इसके सभी एप्लीकेशंस को एक्टिवेट करते हुए जियोग्राफिकल इंफार्मेशन सिस्टम (जीआइएस) तथा चेंज मैनेजमेंट सिस्टम हेतु सभी खंडों को अधिकृत किया जाना चाहिए। जिससे सभी उपभोक्ताओं का जीआइएएस के द्वारा सही तरीके से लेखा-जोखा रखा जा सके। दो दर्जन ऐप और पोर्टल चल रहे

संघर्ष समिति के स्थानीय संयोजक इ. अदालत वर्मा ने बताया कि कारपोरेशन में वर्तमान में लगभग दो दर्जन ऐप पोर्टल क्रियाशील हैं। जिन्हें पारदर्शिता, समय की बचत, बेहतर उपभोक्ता सेवा प्रदान करने आदि कार्यों हेतु लागू किए गए हैं। जिन पर भारी व्यय किया जा रहा है, परंतु अत्यधिक एप एवं पोर्टल होने की वजह से क्षेत्रों में कार्यरत अभियंताओं का अधिकांश समय विभिन्न प्रकार की सूचनाओं को अपलोड करने में खर्च हो रहा है। वहीं दूसरी ओर उच्च प्रबंधन द्वारा इन ऐप व पोर्टल का उपयोग मात्र मानिटरिग एवं दंडात्मक कार्यवाहियों के लिए प्रयोग किया जा रहा है।

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