युवाओं की टोली दूर कर रही गोवंशों की पीड़ा
कहते हैं कि अगर सेवा करने की चाह हो तो कुछ भी मुमकिन नहीं है। इसको इस समय चरितार्थ कर रहे हैं रेणुकूट नगर के कुछ युवा। नगर में छुट्टा घूम रहे घायल गोवंशों की पीड़ा देखकर युवाओं की तरफ से गंगा सेवा ट्रस्ट का गठन कर गोशाला का निर्माण कराया गया है। इसमें छुट्टा घायल पशुओं को ले जाकर उनका इलाज कराया जाता है। उनकी देखरेख करने के लिए एक आदमी की ड्यूटी लगाई गई है। पशुओं की चारा पानी की व्यवस्था लोगों के सहयोग से की जाती है।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : कहते हैं कि अगर सेवा करने की चाह हो तो कुछ भी मुमकिन नहीं है। इसको इस समय चरितार्थ कर रहे हैं रेणुकूट नगर के कुछ युवा। नगर में छुट्टा घूम रहे घायल गोवंशों की पीड़ा देखकर युवाओं की तरफ से गंगा सेवा ट्रस्ट का गठन कर गोशाला का निर्माण कराया गया है। इसमें छुट्टा घायल पशुओं को ले जाकर उनका इलाज कराया जाता है। उनकी देखरेख करने के लिए एक आदमी की ड्यूटी लगाई गई है। पशुओं की चारा पानी की व्यवस्था लोगों के सहयोग से की जाती है। घायल पशुओं को पहुंचाने का काम कुछ ट्रांसपोर्टरों के माध्यम से कराया जाता है।
पांच युवाओं की टोली ने बेसहारा पशुओं के लिए 10 जून 2020 में गंगा सेवा ट्रस्ट का गठन किया। सभी युवा नगर में जगह-जगह घूम रहे निराश्रित गोवंशों को पकड़ कर म्योरपुर ब्लाक के गोविदपुर स्थित आश्रम मोड़ पर ट्रस्ट द्वारा तैयार गोशाला में लाते हैं। ट्रस्ट से जुड़े पवन अग्रवाल के चाचा ने इसके लिए अभी भूमि उपलब्ध करवाई है।
ट्रस्ट के अध्यक्ष सदानंद सोनी ने बताया कि उन्हें नगर में घूम रहे छुट्टा गोवंश को देखकर बहुत कष्ट होता था जब वे किसी तरह घायल हो जाते थे तो उन्हें तड़पता देख कर उनको अंदर से बहुत कष्ट होता था। इसे देखते हुए उन्होंने तय किया कि वे इसके लिए अपने स्तर से प्रयास करके उनका संरक्षण करेंगे। फिलहाल पांच युवा इस कार्य में सहयोग कर रहे हैं। सहयोग व खुद के पैसों से कर रहे सेवा
सदानंद ने बताया कि कुछ लोगों की सहयोग व खुद के पैसों से पशुओं के लिए चारा-पानी की व्यवस्था की जाती है। पशुओं के खाने के लिए कुछ किसान तो किसी व्यापारियों के तरफ से भूसा का सहयोग किया जाता है। इसके अलावा अपने तरफ से भी गोवंशों का खर्चा उठाया जाता है। गोशाला में 12 मवेशी
ट्रस्ट की तरफ से खोले गए गोशाला में इस समय 12 मवेशी हैं। इनकी देखभाल करने के लिए एक आदमी को रखा गया है जिन्हें कभी दो हजार तो कभी तीन हजार रुपये हर माह दे दिया जाता है। घायल गोवंशों का उपचार जरुरत के अनुसार सरकारी व निजी चिकित्सकों से कराया जाता है। इस पर आने वाला खर्च खुद से वहन किया जाता है। एक मुठ्ठी भूसा व एक रुपये दान की अपील
ट्रस्ट के अध्यक्ष का कहना है कि यदि प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन एक मुट्ठी भूसा या एक रुपए दान करें तो सभी के सहयोग से उनका यह गोवंश संरक्षण अभियान सफल हो पाएगा।