बिजली संशोधन विधेयक-2021 वापस लिए जाने की मांग

जागरण संवाददाता ओबरा (सोनभद्र) आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने मांग की है कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को वापस लिया जाना चाहिए और संसद में विधेयक को शीतकालीन सत्र में पेश करने से पहले भारत सरकार द्वारा निर्धारित पूर्व विधायी परामर्श नीति (पीएलसीपी) को अपनाया जाना चाहिए। फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को पत्र भेजकर इस मामले में हस्तक्षेप करने और अधिकारियों को संसद में विधेयक पेश करने से पहले निर्धारित संसदीय नीति को अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Nov 2021 09:44 PM (IST) Updated:Thu, 25 Nov 2021 09:44 PM (IST)
बिजली संशोधन विधेयक-2021 वापस लिए जाने की मांग
बिजली संशोधन विधेयक-2021 वापस लिए जाने की मांग

जागरण संवाददाता, ओबरा (सोनभद्र) : आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन ने मांग की है कि बिजली (संशोधन) विधेयक 2021 को वापस लिया जाना चाहिए और संसद में विधेयक को शीतकालीन सत्र में पेश करने से पहले भारत सरकार द्वारा निर्धारित पूर्व विधायी परामर्श नीति (पीएलसीपी) को अपनाया जाना चाहिए। फेडरेशन के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को पत्र भेजकर इस मामले में हस्तक्षेप करने और अधिकारियों को संसद में विधेयक पेश करने से पहले निर्धारित संसदीय नीति को अपनाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। कहा कि अगर विधेयक को वापस नहीं लिया जाता है और संसद में एकतरफा पेश किया जाता है तो देश भर के 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के पास देशव्यापी आंदोलन का सहारा लेने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं होगा। दिल्ली में तीन दिसंबर को होने वाली बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की राष्ट्रीय समन्वय समिति की बैठक में भविष्य की कार्रवाई घोषित की जाएगी। कहा कि यह नियम है कि यदि पीएलसीपी को लागू करना संभव नहीं है तो इसके कारणों को कैबिनेट के नोट में दर्ज किया जाना चाहिए। पीएलसीपी के मुख्य बिदु

प्रस्तावित कानून को सक्रिय रूप से प्रकाशित करना, प्रस्ताव को कम से कम 30 दिनों के लिए सार्वजनिक डोमेन में रखा जाना, व्यापक जनमत के लिए प्रभावित लोगों के बीच प्रस्ताव प्रसारित किया जाना हैं। प्रत्येक मसौदा कानून में एक व्याख्यात्मक नोट होना चाहिए जिसमें सरल भाषा में प्रमुख कानूनी प्रावधानों की व्याख्या की गई हो, जनता से फीडबैक टिप्पणियां संबंधित मंत्रालय की वेबसाइट पर डाली जानी चाहिए, मंत्रालय सभी हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श करे, कानूनी जांच और अंतर-मंत्रालयी परामर्श की आवश्यकता है, मंत्रालय प्राप्त आपत्तियों का सारांश कैबिनेट नोट में संकलित करे और आपत्तियों का सारांश संसद की संबंधित स्थायी समिति के समक्ष रखा जाए।

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