दक्षिणांचल में पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ रहा फ्लोरोसिस का खतरा

जागरण संवाददाता सोनभद्र दक्षिणांचल के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में लगे रिमूवल प्लांट खराब होने के कारण ग्रामीण फिर से दूषित पानी पीने को विवश हैं। इससे दक्षिणांचल के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में आने वाली पीढ़ी के लिए भी खतरा मंडराने लगा है। जिले में फ्लोराइड प्रभावित कुल 236 गांव हैं जिनमें लगे ज्यादातर रिमूवल प्लांट मरम्मत के अभाव में खराब पड़े हैं।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 09:38 PM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 09:38 PM (IST)
दक्षिणांचल में पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ रहा फ्लोरोसिस का खतरा
दक्षिणांचल में पीढ़ी दर पीढ़ी बढ़ रहा फ्लोरोसिस का खतरा

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : दक्षिणांचल के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में लगे रिमूवल प्लांट खराब होने के कारण ग्रामीण फिर से दूषित पानी पीने को विवश हैं। इससे दक्षिणांचल के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में आने वाली पीढ़ी के लिए भी खतरा मंडराने लगा है। जिले में फ्लोराइड प्रभावित कुल 236 गांव हैं, जिनमें लगे ज्यादातर रिमूवल प्लांट मरम्मत के अभाव में खराब पड़े हैं। जिला प्रशासन की उदासीनता का खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

सोनभद्र उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्रफल वाला जिला है। सोनभद्र की आबादी वर्ष 2011 में हुए सर्वे के अनुसार 18 लाख 62 ह•ार 559 थी। दक्षिणांचल क्षेत्र के 2 लाख से भी ज्यादा परिवार पीने के पानी में फ्लोराइड के कारण फ्लोरोसिस जैसी लाइलाज बीमारी से ग्रसित हैं, जो जनसंख्या का 10 प्रतिशत से भी अधिक है। दक्षिणांचल के प्रभावित गांवों में लोगों को फ्लोराइड से मुक्ति दिलाने के लिए जगह-जगह रिमूवल प्लांट लगाए गए। फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए जाने पर लोगों में यह उम्मीद जगी कि अब उन्हें दूषित पानी से निजात मिलेगी और उनकी आने वाली पीढ़ी फ्लोरोसिस जैसी लाइलाज बीमारी से बच सकेगी। लेकिन लोगों की उम्मीदों पर पानी फेरता नजर आ रहा है। लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के लिए लगाए गए रिमूवल प्लांट मरम्मत के अभाव में खराब हो गए हैं। यह स्थिति दक्षिणांचल के लगभग सभी गांवों में लगे रिमूवल प्लांटों की है। रिमूवल प्लांट खराब होने से लोगों को फिर दूषित पानी पीने को विवश होना पड़ रहा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की नजर इस पर नहीं पड़ रहा है। अगर यही स्थिति रही तो दक्षिणांचल के फ्लोराइड प्रभावित गांवों में आने वाली पीढ़ी भी फ्लोरोसिस जैसी लाइलाज बीमारी के गिरफ्तार में जा जाएगी।

दांतों और हड्डियों में फ्लोरोसिस से हैं ज्यादातर लोग प्रभावित

वनवासी सेवा आश्रम गोविदपुर ने जब फ्लोराइड प्रभावति गांवों का सर्वे किया तो ज्ञात हुआ कि क्षेत्र में दांतों और हड्डियों के फ्लोरोसिस से सबसे अधिक लोग प्रभावित हैं। सर्वे अनुसार 236 गांव के 41 स्कूलों के बच्चों के दांतों का परीक्षण करवाया, 136 गांव के स्कूलों के बच्चों में शुरुआती दांतों का फ्लोरोसिस, 82 गांव के बच्चों में मध्यम तथा 18 गांव के स्कूली बच्चों में गंभीर दांतों का फ्लोरोसिस पाया गया। वहीं हड्डियों में फ्लोरोसिस के कुटोंधी गांव में 14, मनबसा में 11, करमाडाड में 8 मरीज मिले, जिनको हड्डियों का फ्लोरोसिस बहुत शुरूआती दौर में था। कुटोंधी गांव में 9, कुस्माहा में 5, करमाडाड में 1 में माध्यम तथा परवाकुंडवारी नई-बस्ती गांव में 30, कुस्माहा में 7 तथा मनबसा में 2 को गंभीर हड्डियों का फ्लोरोसिस पाया गया। क्या कहते हैं अधिकारी..

फ्लोराइड प्रभावित गांवों में जहां रिमूवल प्लांट खराब पड़े हैं, सर्वे कराकर इसकी जांच कराई जाएगी। खराब पड़े प्लांटों की शीघ्र मरम्मत कराई जाएगी। रिबोर की जरूरत पड़ेगी तो वह भी कराया जाएगा।

रमेश कुमार, उपजिलाधिकारी दुद्धी।

chat bot
आपका साथी