अवैध बालू खनन को रोकी सोन की धारा
मध्य प्रदेश से सटे सीमावर्ती इलाके में बालू माफियाओं ने जबर्दस्त दुस्साहस दिखाते हुए सोन नदी के बड़े हिस्से में रातो रात कई बांध बना उसके जलधारा को रोक दिया है।
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संजय यादव
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ओबरा (सोनभद्र) : मध्य प्रदेश से सटे सीमावर्ती इलाके में बालू माफिया ने दुस्साहस दिखाते हुए सोन नदी के बड़े हिस्से में रातोंरात कई बांध बनाकर उसकी जलधारा को रोक दी है। यह इलाका प्रतिबंधित सेंचुरी का है। कैमूर वन्यजीव प्रभाग में आधा किलोमीटर से ज्यादा हिस्से में नदी को रोकने से जहां कई गांवों में दहशत फैल गई है वहीं जलजीवों को भारी खतरा उत्पन्न हो गया है। बीती रात में जेसीबी और पोकलेन सहित कई वाहनों को लगाकर अवैध कारनामे को अंजाम दिया गया।
दरअसल, पिछले दो वर्षों से अवैध खनन का अड्डा बने सीमावर्ती इलाके में दुस्साहस के बाद झितिकपुरवा, सेमिया एवं घोरिया आदि गांवों के ग्रामीण अवाक रह गए। नदी के बड़े तटवर्ती क्षेत्र में बनाये गये बांध और पुल की वजह से मंगलवार को मवेशियों को पानी पिलाने में भारी दिक्कतें हुईं। सूत्रों की मानें तो जल्द ही भारी पैमाने पर बालू उठाने की तैयारी चल रही है। मध्यप्रदेश के साथ उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, मीरजापुर सहित बिहार और झारखंड के कई जनपदों के लिए जीवन दायिनी सोन नद को रोकने से चिताजनक स्थिति पैदा हो सकती है। सोन में हो रहे अवैध खनन की वजह से इसका प्राकृतिक प्रवाह लगातार प्रभावित होते जा रहा है। प्रशासनिक चुप्पी के कारण सोन नदी में अवैध बालू खनन करोड़ों रुपये के अंतरराज्यीय व्यवसाय में तब्दील होता जा रहा है। कछुआ सेंचुरी का अस्तित्व संकट में
सोन नदी के बड़े हिस्से में कछुआ सेंचुरी के अलावा घड़ियालों के लिए कई वर्ष पहले ही योजना बनाई गई थी। नदी के जलीय पर्यावरण को मजबूत करने के लिए इसमें कछुआ के बच्चे जहां छोड़े गये थे वहीं घड़ियालों के लिए भी अनुकूल स्थिति बनाने की योजना थी। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती लगभग 100 किलोमीटर में घड़ियाल अभ्यारण का क्षेत्र है लेकिन, अवैध बालू खनन के कारण घड़ियालों और कछुआ की संख्या में गुणात्मक कमी आई है। बीते जनवरी माह में ही सीमावर्ती हिस्से में कई घड़ियाल अवैध बालू खदानों में मृत पाए गये थे। सोन नदी में अवैध बालू खनन के लिए तटबंध बनाने के कारण जलीय जीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सोन नदी के तटवर्ती सोनभद्र के अलावा मध्यप्रदेश के सिगरौली और सीधी में हो रहे अवैध बालू खनन के कारण नदी के जीव प्रणाली के साथ नदी तल, नदी तट, उसका कुदरती जमाव एवं विस्तार, बाढ़ क्षेत्र, राईपेरियन जोन लगातार प्रभावित होते जा रहे हैं। इसका असर सोन नदी के घटे जलस्तर से भी लगाया जा सकता है।