राजस्वकर्मियों से एसआइटी ने की पूछताछ, जुटाए अभिलेख
घोरावल के उभ्भा में हुए नरसंहार के मामले में जांच कर रही विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने मंगलवार को दूसरे दिन भी चुर्क स्थित गेस्ट हाउस में तहसील स्तरीय अधिकारियों कर्मचारियों से पूछताछ किया। कुछ अधिकारियों का बयान भी दर्ज किया।
जागरण संवाददाता, सोनभद्र : घोरावल के उभ्भा गांव में भूमि पर कब्जे को लेकर हुए नरसंहार के मामले में जांच कर रही विशेष अनुसंधान दल (एसआइटी) ने मंगलवार को दूसरे दिन भी चुर्क स्थित गेस्ट हाउस में तहसील स्तरीय अधिकारियों, कर्मचारियों से पूछताछ की। कुछ अधिकारियों का बयान भी दर्ज किया। डीआइजी जे रविद्र गौड़ के नेतृत्व में आई दस सदस्यीय टीम नरसंहार की वजह तलाशने में जुटी है। साथ ही अभिलेखों में कहां-कहां खेल हुआ इसकी जानकारी करके साक्ष्य जुटा रही है। टीम की कड़ी जांच की वजह से यहां के अधिकारियों, कर्मचारियों के हाथ-पांव फूल रहे हैं। वे इस सोच में हैं कि अब इस टीम की रिपोर्ट किस पर गाज गिराएगी। हालांकि आगे क्या होगा यह तो अभी किसी को नहीं मालूम लेकिन इतना जरूर है कि अब पर्दे के पीछे से भी खेल करने वालों की गर्दन फंसनी तय है। दिनभर होती रही पूछताछ
एसआइटी के अधिकारी सुबह करीब दस बजे से ही पूछताछ शुरू कर दिए थे। इसके लिए तहसील स्तरीय अधिकारियों, कर्मचारियों को बारी-बारी से बुलाया जा रहा था। जिससे पूछताछ होनी थी उसे टीम के सदस्य स्वयं फोन कर रहे थे या वहां मौजूद जिले के किसी अधिकारी से फोन करवाकर बुलवाते थे। उनसे पूछताछ के आधार पर जरूरी पत्रावली भी मंगाई जाती रही। इस वजह से पूरे दिन तहसील और कलेक्ट्रेट के राजस्व अनुभाग में कर्मचारी भाग-दौड़ करते नजर आए। जरूरत के मुताबिक अभिलेखों की फोटोकॉपी भी कराकर टीम के लोग रखते रहे। कैसे-कैसे हुई अभिलेखों में गड़बड़ी
टीम के लोग इस बात की पड़ताल करने में लगे रहे कि आखिर उभ्भा नरसंहार की मुख्य वजह सोसाइटी की जमीन में कहां-कहां खेल हुआ। 1955 से लेकर अब तक जमीन कब किसके नाम रही। किस आधार पर उसकी लिखा-पढ़ी की गई। अगर लिखा-पढ़ी की गई तो किसके आदेश पर की गई। क्या आधार बनाया गया। साथ ही ये सब करने में किन-किन अधिकारियों की मिलीभगत रही। 10 की गई थी जान, 28 हुए थे घायल
उभ्भा गांव में 17 जुलाई को भूमि पर कब्जा करने को लेकर नरसंहार हो गया था। उस नरसंहार में 10 लोगों की मौत हो गई थी और 28 लोग घायल हो गए थे। घटना के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने इसे गंभीरता से लिया और तत्काल एसडीएम, सीओ, एसएचओ सहित पांच लोगों को निलंबित कर दिया था। बाद में जांच रिपोर्ट के आधार पर डीएम व एसपी को हटाते हुए 27 लोगों के खिलाफ हजरतगंज थाने में एफआइआर दर्ज कराई गई।