अपने अंतिम संस्कार की बाट जोह रहा शाहपुर का श्मशान घाट

जागरण संवाददाता सोनभद्र मृत्यु जीवन का अटल सत्य है। निश्चित रूप से इस अंतिम यात्रा पर जाने वाल

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 05:24 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 05:24 PM (IST)
अपने अंतिम संस्कार की बाट जोह रहा शाहपुर का श्मशान घाट
अपने अंतिम संस्कार की बाट जोह रहा शाहपुर का श्मशान घाट

जागरण संवाददाता, सोनभद्र : मृत्यु जीवन का अटल सत्य है। निश्चित रूप से इस अंतिम यात्रा पर जाने वाला व्यक्ति तो उस दुर्दशा को महसूस नहीं कर सकता जो उसके साथ जाने वाले दुद्धी तहसील के शाहपुर ग्राम पंचायत स्थित श्मशान घाट पर महसूस करते हैं। करें भी क्यों न, वहां पर दाह-संस्कार के दौरान न तो बैठने की व्यवस्था है और न ही शौचालय की। एक अदद हैंडपंप है जो कब पानी छोड़ दे, यह किसी को पता नहीं रहता। जहां पर दाह संस्कार होता है वहां का शेड भी कब का क्षतिग्रस्त हो गया, इसकी भी सुध लेने वाला कोई नहीं। कुल मिलाकर श्मशान घाट खुद अपने अंतिम संस्कार की बाट जोह रहा है। या फिर कोई ऐसा जनप्रतिनिधि या अधिकारी जो मिले जो जीवन रक्षक प्रणाली की तरह इस घाट की मरम्मत कराकर उसे फिर से पूरी तरह से क्रियाशील कर दे।

कनहर व ठेमा संगम तट पर है श्मशान घाट

दुद्धी तहसील क्षेत्र के शाहपुर ग्राम पंचायत का श्मशान घाट कनहर व ठेमा नदी के संगम तट पर बना है। यहां पर आसपास के 25 गांव के लोग अपने स्वजनों के देहांत होने पर अंतिम संस्कार के लिए आते हैं। इसके अलावा दुद्धी नगर पंचायत के लोग भी अंतिम संस्कार के लिए यहीं पर आते हैं। बावजूद इसके इस श्मशान घाट की सुधि लेने वाला कोई नहीं है। मुख्य मार्ग से घाट तक जाने वाला संपर्क मार्ग भी पूरी तरह से दुर्दशा की चपेट में है। रात के समय यहां पर प्रकाश का कोई प्रबंध न होने के कारण अंधेरे में लोग जाने से डर लगता है। प्रतिक्रिया ..

प्रस्ताव बनाया, लेकिन बजट नहीं मिला

श्मशान घाट की स्थिति सुधारने के लिए अपने पांच वर्ष के कार्यकाल में दो बार प्रस्ताव बनाकर जिले पर भेजा। बावजूद इसके वहां से कोई बजट नहीं मिला, जिसके कारण इसका कायाकल्प नहीं हो सका। इस बात का मुझे आज तक अफसोस है। श्रवण कुमार, निर्वतमान प्रधान ग्राम पंचायत साहपुर। बोले ग्रामीण

जाबर के बुजुर्ग रामलाल ने बताया कि अपने 80 वर्ष के उम्र में न जाने कितनी बार शाहपुर श्मशान घाट किसी न किसी के अंतिम संस्कार में गया हूं। वहां पर अव्यवस्था को देखकर दुख: होता है। मन में यह ख्याल आता है कि एक दिन इसी अव्यवस्था में मुझे भी समाप्त होना है। खजुरी गांव के नीलेश ने बताया कि इसको लेकर कई बार जिम्मेदार लोगों से चर्चा भी की लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। मलदेवा व बनौरा गांव के विनोद व पंकज ने कहा कि जनप्रतिनिधि भी इस गंभीर विषय पर ध्यान नहीं देते। रात के समय सबसे अधिक समस्या होती है। यहां पर बिजली का कनेक्शन व प्रकाश की मुकम्मल व्यवस्था होनी चाहिए।

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