रिहंद जलाशय को बेलवादह ऐश डैम से खतरा

प्रदूषण पर एनजीटी की सख्ती व राख निस्तारण की समस्या से जूझते अनपरा तापीय परियोजना प्रबंधन के लिए बेलवादह ऐश डैम गले की हड्डी बनने लगा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Dec 2019 05:48 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 09:34 PM (IST)
रिहंद जलाशय को बेलवादह ऐश डैम से खतरा
रिहंद जलाशय को बेलवादह ऐश डैम से खतरा

जासं, अनपरा (सोनभद्र) : प्रदूषण पर एनजीटी की सख्ती व राख निस्तारण की समस्या से जूझते अनपरा तापीय परियोजना प्रबंधन के लिए बेलवादह ऐश डैम गले की हड्डी बनने लगा है। राख से पट चुके बेलवादह ऐश डैम के उच्चीकरण का जहां प्रयास किया जा रहा है वहीं किसानों की भूमि को लेकर चल रही न्यायिक प्रक्रिया से प्रबंधन असमंजस में है। राख निस्तारण को लेकर उत्पादन निगम की अनपरा तापीय परियोजना शुरू से ही ऐश डैमों पर निर्भर रही है। परियोजना द्वारा पूर्व में भरे गई राख पर अनपरा-डी परियोजना का निर्माण हुआ।

दरअसल, बेलवादह में दूसरा ऐश डैम भरने के बाद तीसरा ऐश डैम अस्तित्व में आया जो इनदिनों परियोजना की राख निस्तारण का मुख्य केन्द्र है। बेलवादह ऐश डैम पूर्णतया भर जाने से उसके उच्चीकरण का प्रयास किया जा रहा है। सैकड़ों एकड़ भूमि में फैले इस ऐश डैम के भर जाने से राख ओवर फ्लो होकर रिहंद जलाशय में जा रही है। इससे रिहंद का पानी लगातार प्रदूषित हो रहा है। डैम का उच्चीकरण न होने से सैकड़ों टन राख रिहंद जलाशय में घुलकर पानी को दूषित कर चुका है। परियोजना के लिए बेलवादह ऐश के उच्चीकरण के बावत विस्थापित परिवारों का आरोप है कि परियोजना द्वारा वर्षों से उनकी भूमि पर राख पाटा जा रहा है। इसके एवज में विस्थापितों को न तो मुआवजा व पुनर्वास-पुर्नस्थापन का लाभ मिला है। भूमि अधिग्रहण का मामला न्यायालय में होने से परियोजना कोई कदम उठाने से पहले आश्वस्त होना चाहता है कि किसी तरह का अवरोध पैदा न हो। परियोजना से प्रभावित परिवारों का आरोप है कि परियोजना अनपरा से बेलवादह तक 14 किमी लम्बी पाइप लाइन बिछाकर वर्षों से उनकी भूमि पर कब्जा किये हुए है। इससे सैकड़ों परिवार प्रभावित हैं। परियोजना द्वारा बिछाए गए पाइन लाइनों के चोक होने व पाइप फटने पर राख उनके खेतों में बहा दी जाती है। इससे उनकी फसल बर्बाद हो जाती है। तमाम भूमि जो राख के नीचे दब चुकी है उस पर प्रबंधन मौन है। परियोजना स्तर पर न्याय नहीं मिलने से विस्थापित परिवार न्यायालय के फैसले का इंतजार कर रहे थे। प्रदूषण को लेकर सख्त एनजीटी ने औद्योगिक संस्थानों को कड़े निर्देश दिये है। जिसपर परियोजना किसी तरह बेलवादह ऐश डैम का निर्माण कार्य पूरा करना चाहती है। एक तरफ एनजीटी व दूसरी तरह विस्थापितों का मामला परियोजना की गले का हड्डी बना हुआ है।

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